डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड, भारत में अभी नवजात अवस्था में है, हालांकि यह इतनी तेजी से ग्रोथ किया है कि मात्र 4 साल में ही इस सेक्टर की 100 से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लग गई। इस प्रोडक्ट का ये ग्रोथ देखकर, वुड पैनल सेक्टर के बड़े और आर्गनाइज ब्रांड जैसे सेंचुरी प्लाई, ग्रीनप्लाई, आॅस्टिन प्लाइवुड, आर्चिड प्लाई, अमूल्या माइका, इंडोवुड आदि ने भी कदम रखा है, साथ ही एलस्टोन, फ्लोरेस्टा जैसे कई आर्गनाइज कंपनियों के प्रयास से, वुड पैनल बाजार में इस प्रोडक्ट की जागरूकता और इस्तेमाल काफी बढ़ गया है। लेकिन जिस तरह से पिछले 5 महीनों में इस प्रोडक्ट के बनाने के लिए उपयोग होने वाले मुख्य राॅ मेटेरियल पीवीसी रेजीन के रेट बढ़ें है, इससे इस प्रोडक्ट की क्वालिटी व लोगों के एर्फोडेबल होने को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। आलम ये है कि पिछले 5 महीनों में पीवीसी रेजीन के दाम दोगुने हो गए हैं, नतीजतन पिछले 3 महीनांे में डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड के रेट में 25 फीसदी का भारी उछाल आया है।
उसी तरह पीवीसी लेमिनेट सेक्टर भी राॅ मेटेरियल के उंच्चे दाम की चुनौती झेल रहा है। पीवीसी लेमिनेट भी भारतीय सरफेस डेकोर सेक्टर में एक नया व उभरता हुआ प्रोडक्ट है, और देष में पिछले 4 साल में 20 से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लग चुकी है। पीवीसी लेमिनेट ने अपनी डिजाइन, इनोवेशन और रिटेलर्स के लिए बेहतर प्रोफिट मार्जिन के चलते, 1 एमएम डेकोरेटिव पेपर लेमिनेट की बाजार हिस्सेदारी में सेंध लगाई है। 1 एमएम लेमिनेट से महंगा होने के बावजूद, इस प्रोडक्ट ने बड़े शहरों के बाजार में इस सेगमेंट में हिस्सेदारी हासिल की है। हालांकि हाल ही में इस प्रोडक्ट के राॅ मेटेरियल में जो तेजी आई है, और इस प्रोडक्ट के रेट में जो उछाल देखने को मिला है, इससे दूसरे दर्जे के शहरों में इस प्रोडक्ट को अपना बाजार बनाने में चुनौती का सामना करना पड़ेगा, और रिटेलर्स के लिए भी नए रेट बाजार से लेने में मुश्किल आएगी।
पीवीसी के दोनों सेक्टर में जो रेट अभी बढ़ें हैं, वह उपभोक्ता के लिए बिजली की करंट की तरह है। सबसे बड़ा सवाल इस उद्योग, राॅ मेटेरियल के उत्पादक व सप्लायर्स, दुकानदार सबके लिए खड़ा होता है कि क्या इस सेक्टर में आने के बाद जो सपने और भविष्य उन्होंने देखा है, वो अब चुनौती पूर्ण हो सकता है।
हालांकि ये अनुमान लगाया जा रहा है कि पीवीसी रेजीन के दाम मार्च के बाद, कम हो सकते हैं, लेकिन पीवीसी लेमिनेट के रेट 150 से 200 रू तक बढ़ता दिख रहा है, जो ग्राहकों तक जाकर 200 से 500 रू तक पहुंच जाता है, और यह इस प्रोडक्ट के भविष्य के लिए चुनौती खड़ा कर सकता है। तथ्य यह है कि पीवीसी के दोनों सेक्टर में जो रेट अभी बढ़ें हैं, वह उपभोक्ता के लिए बिजली की करंट की तरह है। सबसे बड़ा सवाल इस उद्योग, राॅ मेटेरियल के उत्पादक व सप्लायर्स, दुकानदार सबके लिए खड़ा होता है कि क्या इस सेक्टर में आने के बाद जो सपने और भविष्य उन्होंने देखा है, वो अब चुनौती पूर्ण हो सकता है, क्योंकि ये तो सत्य है कि इस तरह के रेट पर, बाजार में इस प्रोडक्ट का ग्रोथ नहीं होगा, और अन्य वैकल्पिक प्रोडक्ट इसे वापस धकेल देंगे, और एक विकसित सेक्टर की धार कुंद हो जाएगी।
अब इस अंक की बात करते हैं, तो यह अंक सूचनाओं से लबरेज है, मार्केट रिपोर्ट, उद्योग की खबरें, कई नए प्रोडक्ट लांच, कंपनियों की वित्तीय रिपोर्ट संबंधित कई महत्वपूर्ण खबरें हैं, जो सिर्फ प्लाई रिपोर्टर में ही प्राप्त हो सकती है। साथ ही उद्योग व बाजार के जुड़े कई अग्रणी कंपनियों के साथ बातचीत है। सेंचुरी एमडीएफ व पार्टिकल बोर्ड डिविजन के नेशनल हेड श्री अवतार सिंह भुल्लर, आईटीसी के श्री पीजुश कुमार चटर्जी के साथ साथ विगवाॅम, मैपल पैनल, सियाम प्लाई, कनोई स्टील, कोयंबटूर स्थित महावीर लेमिनेट के श्री राकेश मेहता का साक्षात्कार काफी पठनीय है। साथ ही जयपुर के प्राइमार्क शोरूम के कवरेज के साथ अन्य कई रिपोर्ट प्रकाशित किया गया है।