हरियाणा प्लाइवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एचपीएमए) ने राज्य में वुड बेस्ड इंडस्ट्री के लिए भूजल की सीमित सीमा में वृद्धि के लिए आवेदन की तिथि बढ़ाने की मांग की है और इसका कारण बताते हुए भारत सरकार के जल संसाधन राज्य मंत्री को पत्र लिखा है। एचपीएमए के अध्यक्ष श्री जेके बिहानी ने भूजल निष्कर्षण के संबंध में नियमों में बदलाव के लिए केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए)े को धन्यवाद दिया और कहा कि प्रति दिन 10,000 लीटर की छूट सूक्ष्म और लघु इकाइयों के लिए बहुत कम है। इस सीमा को प्रति दिन कम से कम 30000 लीटर तक बढ़ाया जाना चाहिए। इससे अधिकांश सूक्ष्म और लघु इकाइयां कवर हो जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि कोविड के चलते निरंतर बाधा की स्थिति के कारण कुछ इकाइयाँ 30.06.2020 के निर्दिष्ट समय के भीतर अपना आवेदन प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं थीं। इसलिए, यह अनुरोध किया गया है कि कृपया बिना किसी लेट फीस और जुर्माने के आवेदन की तारीख 31.03.2021 तक बढ़ा दी जाए। ज्ञातव्य है कि केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को छूट दी है और 24 सितंबर, 2020 को एक अधिसूचना जारी कर एक इकाई के लिए प्रति दिन 10 घन मीटर (10000 लीटर) की सीमा तक भूजल खींचने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हासिल करने की आवश्यकता से मुक्त किया है।
अधिसूचना में, यह कहा गया कि देश में औद्योगिक और अन्य उपयोगों के लिए भूजल निकालने के लिए जारी केंद्रीय भूजल अधिसूचना से देश में सबसे ज्यादा प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों को फायदा होगा। इसके लिए एनजीटी की सभी टिप्पणियों के बाद एमएसएमई के लिए विशेष छूट का मसौदा तैयार किया गया है।