सरकार ने 29 जनवरी 2021 को एक एडवाइजरी जारी कर आयातकों को पार्टिकल बोर्ड्स, एमडीएफ और प्लाइवुड जैसे इंजीनियर्ड पैनल प्रोडक्ट्स, जो 2003 के बाद किसी भी प्लांट क्वारंटाइन रिस्ट्रिक्शन से मुक्त थे, के आयात के लिए डॉक्यूमेंट्री कोड 8520 च्फ के तहत फाइटोसैनेटरी इम्पोर्ट परमिट को अपलोड करना अनिवार्य कर दिया है।
पुणे स्थित कंपनी स्लीक बोर्ड्स ने डीजीएस एंड डीएम (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिस्टम्स एंड डेटा मैनेजमेंट) के संयुक्त निदेशक, को एक रिप्रजेंटेशन देकर अनिवार्य फाइटोसैनेटरी प्रमाण पत्र को खत्म करने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि यह पार्टिकल बोर्ड, एमडीएफ, प्लाइवुड और ओरिएंटेड स्ट्रैंड बोर्ड जैसे इंजीनियर्ड पैनल प्रोडक्ट्स के आयातकों के लिए बहुत बड़ी बाधा है। पार्टिकल बोर्ड, एमडीएफ और प्लाइवुड, जो हीट और प्रेशर से बने होते हैं और 2003 के बाद से किसी भी प्लांट क्वारंटाइन रिस्ट्रिक्शन से मुक्त भी हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित समान वैश्विक मानदंडों का पालन करने वाले निर्यातक देशों में कृषि मंत्रालय इसकी अनिवार्यता के चलते अपलोड करने के अनुरोध पर सहयोग नहीं कर रहे है और आयातकों को फाइटोसैनेटरी प्रमाण पत्र के अभाव में अपने इम्पोर्ट कार्गो की गैर-मंजूरी के चलते भारी खर्च का भी सामना करना पड़ रहा है।
ज्ञातव्य है कि सरकार 29 जनवरी 2021 को एक एडवाइजरी जारी कर आयातकों को पार्टिकल बोर्ड्स, एमडीएफ और प्लाइवुड जैसे इंजीनियर्ड पैनल प्रोडक्ट्स, जो 2003 के बाद किसी भी प्लांट क्वारंटाइन रिस्ट्रिक्शन से मुक्त माने जाते है, के आयात के लिए डॉक्यूमेंट्री कोड 8520च्फ के तहत फाइटोसैनेटरी इम्पोर्ट परमिट को अपलोड करना अनिवार्य कर रही है। सभी आयातक और निर्यातक देशों द्वारा यूनिफार्म कोड प्रैक्टिसेज के चलते निर्यातक देशों में ऐसे प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहे हैं और यदि करते हैं तो इसके लिए काफी कीमत वसूल कर रहे हैं। मामले को स्लीक बोर्ड्स ने डीजीएस एंड डीएम के समक्ष रखा और कहा कि भारत सरकार भी चैप्टर 4410, 4411 और 4412 के तहत आने वाले उत्पादों को छूट देने पर सहमति देनी चाहिए। प्लांट क्वारेंटाइन (रेगुलेशन ऑफ इम्पोर्ट इनटू इंडिया) आर्डर, 2003- रिक्वाइर्मेंट ऑफ इम्पोर्ट ऑफ वुड एंड टिम्बर के आदेश के साथ कहा गया है कि इस आदेश का प्रावधान प्रोसेस्ड वुड मेटेरियल जैसे प्लाइवुड, पार्टिकलबोर्ड, ओरिएंटल स्ट्रैंड बोर्ड या mविनियर जो ग्लू, हीट और प्रेसर का उपयोग कर बनाया गया हो, उनकी खेप पर लागू नहीं होगा।
इसके अलावा कृषि मंत्रालय ने एक और आदेश पारित किया, जिसे प्लांट क्वारंटाइन (रेगुलेशन ऑफ इम्पोर्ट इनटू इंडिया) तीसरा संशोधन आदेश, 2004 जिसे 31 मई 2004 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया गया था, जिसमें पुष्टि की गई थी कि पैकिंग के लिए भी प्लाइवुड जैसे प्रोसेस्ड वुड से बने सामान यह लागू नहीं होगा।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को प्रोत्साहित करने के सरकारी पहल के आलोक में, स्लीक बोर्ड्स ने आयातकों की परेशानी कम करने और खर्च बचाने के लिए आईएस 4410, 4411 और 4412 के तहत आने वाली वस्तुओं के लिए फाइटोसानेटरी सर्टिफिकेट की अनिवार्यता को हटाने के लिए संयुक्त निदेशक से अनुरोध किया है। महत्वपूर्ण रूप से एडवाइजरी जारी होने तक फाइटोसैनेटिक सर्टिफकेट से फ्री, इन सभी उत्पादों को स्वतंत्र रूप से आयात किया जाता था। स्लीक बोर्ड ने आर्डर की स्पष्टता का पालन करने वाले ट्रेंड के बारे में भी अवगत कराया। स्लीक बोर्ड भी सभी व्यापारिक संगठनों और आयातकों से अपील करता है कि वे इस तरह के दस्तावेज अपलोड करने पर आयातकों को जल्द राहत देने के लिए अपने कार्यालय के माध्यम से इस मामले को उठाएं, जिसे निर्यातक देश जल्द देने के लिए तैयार नहीं होते।