वर्तमान में, कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री द्वारा सॉलिड वुड और कम्पोजिट वुड के बने फ्लश डोर का उपयोग व्यापक रूप से किए जाते हैं। फ्लश डोर के लिए मेलिया दूबिया जो कि बड़ी मात्रा में किसानों द्वारा उगाई जा रही है, की उपयुक्तता का आकलन करने से इस प्रजाति के उपयोग के नए अवसर खुल रहे हैं। ईपिर्ति ने भारतीय मानकों के अनुसार इन उत्पादों के भौतिक और यांत्रिक गुणों का पता लगाने के लिए इस प्रजाति का उपयोग करके ब्लॉक बोर्ड और फ्लश डोर बनाने के लिए भारतीय प्रक्रिया मापदंडों के अनुसार उपयुक्तता पर अध्ययन किया।
तैयार ब्लॉक बोर्ड ने 7446 N/mm2 की लोच के मापांक को प्रदर्शित किया और टूटने का मापांक 58 7 N/mm2 था, जो मानकों के अनुसार के जरूरी मापांक से काफी ऊपर था। नमी में बदलाव के कारण ब्लॉक बोर्ड में डाइमेंशनल बदलाव भी उसकी निर्धारित सीमा से काफी नीचे थे। आईएस 2202ः1999 के अनुसार फ्लश डोर में सभी प्रदर्शित मापदंड निर्धारित सीमा के भीतर थे। इसके इंडेंटेशन टेस्टिंग और स्लैमिंग टेस्टिंग के बाद दरवाजों को सभी तरह की दरारें, फटने या डिलेमिनेशन के प्रभाव से मुक्त पाया गया।
डॉ नरसिम्हामूर्ति, एचओडी, बिलोलोजी, ईपिर्ति और उनके टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन में पोपलर और मेलिया दूबिया लॉग के तीन क्लोन से प्लाइवुड के संरचनात्मक गुणों और यांत्रिक गुणों की तुलना की गई। अध्ययन में यह पाया गया कि पोपलर के क्लोन के भीतर, जी 48 क्लोन ने अन्य दो क्लोनों की तुलना में बेहतर गुण का प्रदर्शन किया। हालांकि, यांत्रिक गुण, विशेष रूप से मेलिया दूबिया से बने प्लाइवुड के टूटने का मापांक के लिए सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले पॉपलर क्लोन की तुलना में लगभग 28 अधिक था। पैनल के यांत्रिक गुणों में लकड़ी के घनत्व की महत्वपूर्ण भूमिका भी पाई गई।
एक विस्तृत अध्ययन में, कर्नाटक में कोलार, हुनसुर और कोल्लेगल नामक तीन स्थानों पर लगाए गए छह मेलिया दूबिया प्लांटेशन का मूल्यांकन उनके विकास और लकड़ी की गुणवत्ता के मानकों के लिए किया गया था, जो प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।