दिल्ली स्थित प्लाई महल विभिन्न डेकोरेटिव पैनल की पेशकश के लिए जाना जाता है। वे मुख्य रूप से उत्तर और पूर्वी भारत के अन्य डीलर्स को भी अपने पैनल उत्पादों की सप्लाई करते हैं। खुदरा व्यापार के उज्ज्वल भविष्य को देखते हुए वे अपने शोरूम एरिया का विस्तार भी कर रहे हैं। प्लाई महल के श्री पंकज कुमार के साथ ‘प्लाई रिपोर्टर नें रिटेलर्स एंगल’ कॉलम के लिए वर्तमान बाजार परिदृश्य पर बातचीत की, प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश।
सितंबर-अक्टूबर में डिमांड कैसी रही?
डिमांड अभी भी अच्छी है और सितंबर में भी बाजार बहुत अच्छा था। इस बार कोविड के पहले, पिछले वर्षों में सामान्य दिनों की तुलना में डिमांड 25 फीसदी अधिक है। डेकोरेटिव इंडस्ट्री के लिए, मुझे लगता है कि यह आगे बढ़ेगा ही, क्योंकि कोविड के बाद लोग अपने इंटीरियर के लिए पॉलिशिंग प्रोडक्ट का उपयोग करने के बजाय डेकोरेटिव प्रोडक्ट्स के लिए अधिक इच्छुक हैं, इसका कारण इसमें समय का कम लगना है। यह एक डेकोरेटिव इंडस्ट्री है; इसलिए इसको मूल्य वृद्धि से कोई बड़ा प्रभाव का सामना नहीं करना पड़ेगा।
प्र. इतनी अच्छी मांग के क्या कारण हैं?
लॉकडाउन के कारण जो चीजें धीमी गति से चल रही थीं, वे कोविड के मामलों में कमी आने पर काफी तेज हो गई हैं। कुछ बैकलॉग भी हैं और आगे के काम भी अब तेज हैं। लोग काम जल्दी खत्म करना चाहते हैं। अभी भी कोविड दिशा-निर्देश जारी हैं, इसलिए लोग अपने काम को जल्द से जल्द अंजाम देना चाहते हैं। डिमांड इसलिए है, क्योंकि लोग कोविड के मामलों में कमी आने के साथ समय का सही उपयोग करना चाहते हैं। आज हमारी सप्लाई 50 फीसदी अधिक है, इसलिए मांग निश्चित रूप से अधिक है।
प्र. कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि और आयात की दिक्कतों का क्या प्रभाव देखते हैं?
खुदरा बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा है, लेकिन आयातकों का निवेश 3 से 4 गुना बढ़ गया है। प्रतिस्पर्धा के कारण सजावटी वस्तुओं के रेट पहले वाले की तुलना में 40 फीसदी कम हो गई है। जब यह पहले बिकता था तो आज क्यों नहीं बिकेगा? पिछले छह महीनों में सभी के पास उत्पादों की एक नई रेंज है और हम अगले छह महीनों के लिए तैयार हैं। डेकोरेटिव इंडस्ट्री इनोवेशन के बिना आगे नहीं बढ़ सकती है और कीमतों के बढ़ने के बाबजूद उद्योग में कभी भी ठहराव नहीं आएगा।
प्र. ऐसे में, क्या आपको लगता है कि खुदरा विक्रेताओं का मार्जिन प्रभावित हुआ है?
निश्चित रूप से नहीं! यह व्यापार का तरीका है। डेकोरेटिव इंडस्ट्री में आप जो चाहें कीमतों में हेरफेर कर सकते हैं। यह एक सामान्य प्रवृत्ति है कि प्रतिस्पर्धा के कारण कीमतें गिरती है और कमी होने से यह ऊपर जाती है। वर्तमान में कच्चे माल की कमी और कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण उत्पाद की कीमतें बढ़ रही हैं लेकिन मांग कम हो रही है ऐसा नहीं है। आज हर इंडस्ट्री सेगमेंट कीमतें बढ़ने से प्रभावित है। फिर मांग कैसे गिरेगी? लगभग सभी वस्तुओं की कीमतों में काफी हद तक उतार-चढ़ाव हो रहा है, फिर भी इसकी मांग कम नहीं हुई है।
प्र. 1 मिमी लेमिनेट की कीमत में लगभग 200 रुपये प्रति शीट की वृद्धि ब्रांडों द्वारा की गई है और यही स्थिति पीवीसी लेमिनेट में है। तो, आप बिक्री पर इसका क्या प्रभाव देखते हैं?
जिसे जरूरत है वे निश्चित रूप से इसे खरीदेंगे और उपयोग करेंगे। मूल्य वृद्धि का परिदृश्य हर जगह है, इसलिए ग्राहकों के पास कोई विकल्प नहीं है। यह एक सामान्य घटना है कि जब कीमत बढ़ रही होती है तो लोग निवेश करने से झिझकते हैं। आजकल यही हो रहा है। डिस्ट्रीब्यूटर भी खरीदने से हिचकिचाते हैं, लेकिन निर्माता उसी क्षमता से निर्माण नहीं करते, जितनी खपत होती है, वे कभी-कभी स्टॉक करते हैं। इसलिए, वे उस स्तर पर प्रभावित हैं, न कि डिमांड के मोर्चे पर। बाजार में जो भी रेट है, आज खुदरा विक्रेताओं को उसके साथ ही अपने ग्राहकों की सेवा करनी है। वे जिस विशेष उत्पाद के लिए जाने जाते हैं, उससे वे इनकार नहीं कर सकते। यह बिलिं्डग मेटेरियल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के सभी सेगमेंट में हो रहा है। लेमिनेट एक इंटरियर उत्पाद है, जिसका उपयोग बहुत कम मात्रा में किया जाता है। आज किचन के लिए लेमिनेट की पांच शीट पर्याप्त हैं। लेकिन वही व्यक्ति बोर्ड, हार्डवेयर और अन्य उपकरणों जैसे बहुत अधिक महंगे उत्पादों की खपत कर रहा है, तो उन कीमतों में उतार-चढ़ाव का प्रभाव अन्य उत्पादों पर भी महसूस किया जाएगा।
प्र. क्या आपको नहीं लगता कि दिसंबर के बाद मौजूदा मांग में कमी आएगी?
यह मार्च तक रहेगा। यह बाजार की एक सामान्य प्रवृत्ति है कि मार्च से सितंबर तक बदलती है। इसलिए मार्च के बाद कुछ बदलाव होंगे और मांग कम हो सकती है। कोविड की वजह से पैदा हुई गड़बड़ी को शांत होने में 6 से 8 महीने लगेंगे, इसलिए डिमांड कम से कम छह महीने तक रहेगी ही।
प्र. अन्य खुदरा विक्रेताओं के लिए आपका क्या सुझाव है?
मूल्य वृद्धि को लेकर बिक्री ठप करने से कोई फ़ायदा नहीं है। इसके विपरीत, हमें जल्द से जल्द कीमतें स्वीकार करनी चाहिए ताकि हम नवीनतम उत्पादों की पेशकश कर सकें और इनोवेशन जारी रह पाए। यदि हम उद्योग को रेट को लेकर दबाते हैं, तो वे कुछ नया नहीं कर पाएंगे। यदि बाजार स्वीकार कर रहा है तो उत्पाद की कीमत बढ़ाने में दिक्कत क्या है? खुदरा विक्रेता तो फायदे में ही हैं, क्योंकि उन्हें उत्पाद दिखाने के बाद कीमत तानी होती है, जबकि निर्माताओं को कच्चे माल, इनोवेशन और मैन्युफैक्चरिंग, प्रचार और विज्ञापन के साथ स्टॉक के जोखिम होते है, इसके बाद ही वे कीमत मांग सकते हैं। भारतीय उद्योग में बहुत संभावनाएं हैं, इसलिए इस बात को लेकर बिक्री रोकने का कोई फायदा नहीं है।