मार्केट अपडेट कार्यक्रम के दौरान वर्तमान विश्लेषण के अंतर्गत उद्योग, व्यापार और उसके आस-पास क्या हो रहा है, यह जानने और इसके लिए कार्य क्षमता बढ़ाने के बारे में चर्चा की गई। यह चर्चा आपको सफलतापूर्वक आगे बढ़ने के लिए अपग्रेड करने और व्यावसायिक निर्णय लेने में मदद करेगी। इस कार्यक्रम के प्रसारण में डर्बी माइका का सहयोग प्राप्त था। डर्बी माइका फ्यूचिरिस्टिक डिजाइन के साथ लेमिनेट इंडस्ट्री में अपनी फंक्शनलिटी और एस्थेटिक्स का एक बेजोड़ नमूना पेश करता है।
पूरे डेढ़ साल में क्या हुआ है, और क्या क्या बदल गया है? ये है हमारी सोचने की प्रक्रिया, काम करने का तरीका, बाजार की धारणा, बेचने-खरीदने के तरीके में बदलाव आदि! यहां तक कि उत्पादों का व्यवहार भी बदल गया है। हालांकि हमारे व्यापार में बड़ी संख्या में लोग यह नहीं मानते हैं कि बदलाव हुआ है, कुछ स्मार्ट लोग इसे देख पा रहे हैं और भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए सही निर्णय ले भी रहे हैं।
आप में से कई लोग सोच रहे होंगे कि पेमेंट लेन देन की तरीके में काफी बदलाव आया है। लेकिन, मुझे नहीं लगता कि यह कोई बदलाव है, वास्तव में यह केवल व्यापारिक सौदों में सुधार है। सोच में बदलाव के साथ सभी केटेगरी में प्रोसेस इफिसिएंसी में बदलाव आया है, चाहे वह प्लाइवुड हो, लेमिनेट हो, पार्टिकल बोर्ड, एमडीएफ, फर्नीचर, या कोई भी उत्पाद जो आप खरीदते हैं, सभी में बहुत अधिक दक्षता आ रही है, और कार्य क्षमता बढ़ी है। आज एक बुद्धिमान उद्यमी या उद्योगपति यह प्रयास कर रहा है कि प्रोसेस इफिसिएन्सी का उपयोग बेहतर तरीके से कैसे करें? दूसरी ओर जो लोग इस बदलाव को नहीं समझ पा रहे हैं उन्हें आने वाले चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
यदि कार्य क्षमता का सही उपयोग नहीं किया जा रहा है, उदाहरण के लिए किसी के पास 8 प्रेस हैं और टाइट पेमेंट शेड्यूल, मानदंडों या कच्चे माल की दिक्क्तों के चलते वे 2 प्रेस ही चला रहे हैं, तो क्या यह उसके लिए व्यावहारिक है? एक इकाई जो स्थापित क्षमता का 80 फीसदी से कम पर चल रही है, क्या यह उसके लिए व्यावहारिक है? निश्चित रूप से नहीं! लेकिन आज इंडस्ट्री में ऐसा ही हो रहा है।
खुदरा विक्रेता पूछते हैं, हमारे लिए लागत के अलावा और क्या है? सबसे पहले मैं यह कहना चाहूंगा कि हम वास्तव में खुदरा विक्रेताओं को सही मार्गदर्शन के लिए प्राथमिकता में रखते हैं। हम उत्पाद को उपभोक्ताओं से जोड़ते हैं और खुदरा विक्रेताओं को प्राथमिकता के आधार पर सहयोग करते हैं। हम वास्तव मेंउनके साथ हैं और यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि पिछले डेढ़ साल में जो बदलाव आया है, उसे हमें अपनाना चाहिए।
आज खुदरा विक्रेताओं को इस बात पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है कि ’दक्षता या कार्य क्षमता में सुधार कैसे किया जा सकता है?’ क्या खुदरा विक्रेताओं की बिक्री या बिक्री के लिए उत्पाद वही हैं, जो दो साल पहले थे? खुदरा विक्रेताओं को अधिक नुकसान नहीं उठाना पड़ता है, लेकिन वे अपनी जगह, जहां उत्पाद को प्रदर्शित किया जाता है और खुदरा में बेचा जाता है इसके लिए वे प्रॉफिट के बड़े हिस्सेदार होते हैं।
इस प्रकार आपूर्ति श्रृंखला में लाभ मार्जिन का प्रतिशत कारोबार के व्युत्क्रमानुपाती होता है यानि ज्यादा निवेश के अनुपात में लाभ का काम होना। इस प्रकार निर्माताओं का टर्नओवर अधिक होता है लेकिन लाभ प्रतिशत खुदरा विक्रेताओं की तुलना में बहुत कम होता है। खुदरा विक्रेताओं की कार्य क्षमता (वित्त लागत और संचालन लागत शामिल कर कीमतें तय करना) के साथ ही उद्योग की दक्षता ऊँची बनी रहती है।
आज के बाजार में दक्षता आपके रचनात्मक प्रयासों से ही आएगी, एक मजबूत सेल्स टीम आपको उपभोक्ताओं से जोड़ती है साथ ही कुशल अकाउंट आपकी बैकएंड कॅल्क्युलेशन का ध्यान रखते हैं। दुर्भाग्य से, हमारे उद्योग में सेल्स टीम को शिक्षित करके दक्षता में सुधार करने पर कम जोर दिया जाता है। उन्हें बिना टूल्स के टारगेट दे दिया जा रहा है। कोविड के डेढ़ साल के बाद, आपको इफिशिएंट होना ही होगा, और अपनी सेल्स टीम को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करना ही होगा।
देखने को मिल रहा है कि कच्चे माल की उपलवब्धता में कमी के कारण प्लाईवुड उद्योग काफी दर्द में है। यह पेमेंट के मुद्दों और कच्चे माल की लागत के कारण पहले भी ये दबाव में था। प्लाईवुड उद्योग में लकड़ी की इनपुट कॉस्ट फिर से 1000 रुपये से अधिक हो गई है; फिनोल 100 रुपये से 140 रुपये, मेलामाइन 130 रुपये से 350 रुपये; मेथनॉल 40 रुपये तक पहुंचने के कारण फॉर्मल्डिहाइड 18 रुपये से 30 रुपये पर पहुंच गया है। माल भाड़ा लागत भी बहुत अधिक प्रभावित हुई है क्योंकि यह 2000 रूपए से बढ़कर 18000 रूपए तक लगभग 7 से 8 गुना बढ़ गई है। यह एक वैश्विक घटना है, जिसके लिए न तो भारत सरकार कुछ कर सकती है और न ही जनता। यह एक त्रासदी की तरह है जो पूरी दुनिया के लोगों के साथ घट रही है।
“क्षमता बढ़ाए बिना कीमतें बढ़ाना वास्तविक समाधान नहीं है, जैसे कि ऊर्जा खपत की गणना किये बिना प्लांट की दक्षता में वृद्धि नहीं होगी, जैसे इम्प्रेग्नेटर कम गुणवत्ता वाले कागजों को फाड़ रहा है, रेजिन केटल में फंस गया है, अगर शीट में ब्रेकेज हो रही है तो यूरिया मिलाने का का कोई फायदा नहीं है। कैटलॉग इकट्ठा करने का क्या फ़ायदा यदि उसे वर्षों से खोला ही नहीं गया है, आदि। और खुदरा विक्रेताओं के लिए, मैं यह कहना चाहूंगा कि दुकान खोलने का क्या फायदा है, अगर ग्राहक ही नहीं हैं और आप उन्हें अपनी दुकान पर लाने का प्रयास ही नहीं करते हैं।
आज आपको बेहतर और बड़े सौदे के लिए ग्राहकों से संपर्क करके उनसे जुड़ना होगा। एक खुदरा दुकानदार के लिए 30 फीसदी ग्राहक फिक्स होने चाहिए, अगला 30 फीसदी प्रोजेक्ट ड्रिवेन होना चाहिए और 30 फीसदी वॉक-इन कस्टमर होना चाहिए। इस प्रकार 30 फीसदी का यह फार्मूला आपको उतार-चढ़ाव से बचाएगा। दूकान में आने वाले ग्राहकों को छोड़ दें, पर बाकी 60 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के लिए आपके पास प्रशिक्षित सेल्समैन वाली एक अच्छी टीम होनी चाहिए। कंपनी सपोर्ट टीम पर आपकी निर्भरता ज्यादा समय तक नहीं चलेगी क्योंकि प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक है और आपके पड़ोसी दुकानदारों नें अपनी टीम के साथ इस प्रकार की पहल शुरू कर चुके है।
इसी तरह, अगर कोई उद्योगपति सोचता है कि रेट बढ़ाना ही एकमात्र समाधान है, तो आप गलती कर रहे हैं! क्योंकि किसी उत्पाद की कीमत आपूर्ति और मांग के परिदृश्य पर निर्भर करती है, और यदि आपकी लागत बढ़ रही है तो रेट निश्चित रूप से बढ़ जाएगी। लाइनर ग्रेड का ही उदाहरण लें, जो छह महीने पहले 250/- रुपये पर भी कोई लेने वाला नहीं था। आज लगभग 400$ रुपये के स्तर पर लगभग दुगुने रेट पर भी उपलब्ध नहीं है। मांग और आपूर्ति के साथ पार्टियों के व्यक्तिगत व्यवहार और पेमेंट साइकल के साथ कीमत प्रभावित होती है। इसलिए, आज दक्षता बढ़ाने के साथ ही आगे बढ़ाया जा सकता है। गुणवत्ता में सुधार और सेल्स टीम के उचित प्रशिक्षण के साथ कीमतों का सही निर्धारण और टीम को सही टूल से लैस करना ही एकमात्र तरीका है, अन्यथा परिचालन की स्थिरता दांव पर लग सकता है चाहे वह मैन्युफैक्चरिंग हो, होलसेल हो या रिटेल हो।
दूसरी ओर फंड का प्रबंधन चाहे वह आपका अपना हो, या बैंकों से लिया गया हो, यदि आप इसे कुशलता से प्रबंधित नहीं कर रहे हैं, तो आपको बहुत परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
उत्पाद के अनुसार विश्लेषण
प्लाइवुडः टिम्बर और कच्चे माल की कीमत के बाद अब लेवर कॉस्ट बढ़ रहे हैं, जिससे मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में इजाफा हो रहा हैं। मुद्रास्फीति या महंगाई के बढ़ते पैमाने के अनुरूप लेवर कॉस्ट बढ़ाया जा रहा है जिसके चलते तैयार माल की कीमतों में एक वर्ष में 30 से 40 फीसदी की वृद्धि होने वाली है। एक-दो महीने में वेतन और मजदूरी की समस्या भी पैदा होगी। माल की लागत में वृद्धि एक वैश्विक घटना है और इसके लिए सरकार भी कुछ नहीं कर सकती है। यह एक चुनौती है, इसलिए अगले 6 से 8 महीने का समय बहुत कठिन हैं; हम और अधिक उतार-चढ़ाव और बढ़ती कीमतों के चलते बाजार में अनिश्चितता देख सकते हैं। लेकिन, कुशल और सौहार्दपूर्ण व्यापारिक संबंधों वाले लोग निश्चित रूप से आगे बढ़ेंगे।
1 अक्टूबर से लगभग सभी प्लाइवुड कंपनियों ने कीमतों में 4 से 5 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है, क्योंकि कोई दूसरा विकल्प नहीं है। मार्केट अपडेट के पिछले एपिसोड में मैंने बताया था कि नॉर्थ स्थित 125 फैक्ट्रियां ठीक से नहीं चल रही हैं और बंद होने की कगार पर हैं, यह आंकड़ा ऊपर जा रहा है और अब 150 तक पहुंच गया है।
अगले छह महीने में आपको इस लिस्ट में कुछ ऐसे नाम सुनने को मिल सकते हैं जिन पर शायद आपको यकीन न हो कि उनके साथ ऐसा हो सकता है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि हमारे लिए यह परीक्षा का समय है। इस स्थिति में एक दूसरे का सहयोग किये बिना जीवित रहना बहुत मुश्किल है। सिर्फ एक या दो साल के लिए कार्टेलिंग या दोषारोपण से बचे रहना उद्योग के लिए बहुत बड़ा सहयोग होगा।
भुगतान के परिदृश्य को नहीं बदला जाना चाहिए क्योंकि कच्चे माल के सप्लायर एक दिन का भी क्रेडिट नहीं देते। इसी तरह, फिनोल, डेकोरेटिव पेपर आदि 3 या 6 महीने के क्रेडिट पर उपलब्ध थे, जो आज आज 15 से 30 दिनों से अधिक देने को तैयार नहीं हैं। समय सीमा पार करते ही इनकी सप्लाई ठप हो जाती है। इसलिए, विश्वसनीयता समय पर भुगतान, कार्य क्षमता में सुधार, एक दूसरे का सहयोग करने, सेल्स सपोर्ट टीम को नए नए टूल्स से लैस करने में ही निहित है।
एमडीएफ में मूल्य वृद्धि अवश्यम्भावी है और बहुत जरूरी भी है। 1 एमएम के लैमिनेट में 1 अक्टूबर से 60 से 70 रुपये की कीमतों में बढ़ोतरी हुई। 0.8 मिमी में यह कंपनी, थिकनेस और ब्रांड की उपस्थिति, रेंज, बिक्री, द्वितीयक समर्थन प्रणाली और बाजार में इसकी स्वीकृति के आधार पर 30 से 50 रूपए बढ़ी है। यदि समय पर भुगतान और बिक्री में सुधार के साथ लेमिनेट उद्योग में दक्षता बढ़ेगी, तो कोई भी दुसरे विकल्प आपको प्रभावित नहीं करेगा।
कई इंडस्ट्री सेगमेंट ने अपने उत्पादों की कीमत में वृद्धि की है और अगली कीमत भी आने वाली है, क्योंकि वे इसे लंबे समय तकरोक कर नहीं रख सकते हैं और बढ़ती इनपुट कॉस्ट को ग्राहकों तक पहुंचाना आवश्यक है।
पीवीसी बोर्ड इंडस्ट्री काफी उथल-पुथल के साथ आगे बढ़ रहा है। यह एक ऐसा उत्पाद है जिसमें कई गुण हैं और पिछले 4 वर्षों में यह एक अद्भुत उत्पाद साबित हुआ हैं। लेकिन, जो बोर्ड 80 रुपये प्रति वर्ग फिट पर अच्छी गुणवत्ता वाला माना जाता था, वह आज 130 से 140 रुपये तक पहुंच गया है। फिर भी, बाजार में इसकी उपलब्धता नहीं है।
अच्छे खरीदार जो गुणवत्तापूर्ण पीवीसी बोर्ड लगाना पसंद करते हैं, वे अभी भी इसे दोगुनी कीमत पर खरीदकर इस्तेमाल कर रहे हैं। जो लोग दीमक और बोरर से बचे रहना चाहते हैं, वे प्राथमिकता के आधार पर इन बोर्डों का उपयोग करते हैं, फिर भी खरीदारों की संख्या कम हो गई है।
कीमतें बढ़ना अपरिहार्य है और इसे कोई नहीं रोक सकता। हम जो कर सकते हैं वह यह है कि इसे खरीदने की क्षमता के साथ कुशलतापूर्वक बेचने के लिए मार्केटिंग का प्रयास करें। हर किसी में कुछ न कुछ खास होता है जैसे कोई अच्छा बोलता है, अच्छा संवाद करता है, कोई आलोचना करता है। उनमें से कुछ लोग कुशलता पूर्वक संबंधों को विकसित करते हैं। इसलिए सभी अपने अपने स्तर पर प्रयाश करें।
इसलिए, दक्षता में सुधार के लिए सतर्क रहें और मूल्य वृद्धि के लिए दूसरों को दोष न दें। यह वैश्विक परिदृश्य है जो मुख्य रूप से जिम्मेदार है। अगला अपराधी चीन हो सकता है, क्योंकि हमारा उद्योग इतना अच्छा है कि यहां एक कार्टेल संभव नहीं है। प्लाइवुड, लेमिनेट, पीवीसी बोर्ड और अन्य सेगमेंट इतने खंडित हैं कि इसमें कार्टेलाइजेशन संभव नहीं है। तो, सब कुछ मांग और आपूर्ति के साथ ही होता है।
देश में उद्योग के परिदृश्य में सुधार के लिए खुदरा विक्रेताओं की जिम्मेदारी अधिक है। वे इस श्रृंखला में एकमात्र कड़ी हैं जो अपनी बिक्री में कुशलता से सुधार करके पेमेंट को तेज कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में उन्हें ही ज्यादा लाभ होगा। खुदरा विक्रेताओं से अनुरोध है कि वे उद्योग के बजाय अन्य क्षेत्रों में अपने निवेश को रोककर उद्योग का सहयोग करें। यदि ग्राहक परेशानी में हैं तो आप उन्हें समझाकर आगे का रास्ता बना सकते हैं।
मुझे विश्वास है कि आप ग्राहकों को अधिक से अधिक प्रयासों से आश्वस्त करके इस श्रृंखला को मजबूत बनाकर संकट के इस समय में उद्योग को बचाएंगे जहां उत्पाद एक विकल्प बनने जा रहा है। विकल्प बनने से बचने के लिए दूसरों की मदद करें और उत्पाद को बचाएं। अगर कोई हमारे उत्पाद का विकल्प बनता है तो हमें लंबे समय में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए, हमें अपनी आँखें खुली रखनी होंगी ताकि आने वाले समय में हमारे उत्पाद का कोई विकल्प न बने।
निष्कर्ष
अपने प्लांट, बिक्री और रिटेल, पेमेंट, मैन्युफैक्चरिंग और हर प्रक्रिया के साथ जहां आप सक्षम है, कुशलता प्राप्त करंे। दूसरे, आपको अपने सेल्स टीम को उद्योग की गतिविधियों के हर स्तर पर प्रशिक्षित करना चाहिए। सेल्स टीम की वैल्यू को समझें जो आने वाले समय में बेहतर होने वाली है। तीसरा, खुदरा विक्रेता आगे बढ़ने के लिए आश्वस्त रहंे। और चौथा, मंहगाई के लिए तैयार रहें और सहयोग करते हुए दूसरों का हाथ थामें रहें।