अब नये प्रावधान के अनुसार बिना किसी सूचना के कर अधिकारियों को जीएसटी वसूली के लिए आपके परिसर, ऑफिस, गोदाम में भेजने का अधिकार सरकार को हो गया है। यदि अपेक्षित फॉर्म में दिखायी गई कर देयता, आउटवर्ड सप्लाई फॉर्म में उल्लिखित चालान से कम है, तो उन पर यह कार्यवाई की जा सकती है। 21 दिसंबर, 2021 को जारी एक गजट नोटिफिकेशन के अनुसार, वित्त अधिनियम, 2021 में लिखित प्रावधान 1 जनवरी, 2022 से लागू होंगे।
यदि कारोबार सालाना 5 करोड़ रुपये से अधिक है, तो जीएसटी प्रणाली के तहत, दो प्रकार के रिटर्न उस कंपनी को मासिक रूप से दाखिल करनी जरूरी है- ये हैं जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3बीं। पहला रिटर्न जीएसटीआर-1, जो बिक्री के चालान को दर्शाता है और बाद वाला जीएसटीआर-3बी जीएसटी देनदारियों के सारांश की घोषणा के लिए है। जीएसटीआर-1 लेन-देन के अगले महीने के 11 तारीख तक दाखिल किया जाना है, और जीएसटीआर-3बी अगले महीने के 20 तारीख तक दाखिल किया जाना है।
5 करोड़ रुपये तक के सालाना टर्नओवर वाले लोग चाहें तो तिमाही रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। अब, अगर किसी ने जीएसटीआर-1 में 1 करोड़ रुपये के चालान की सूचना दी है, लेकिन जीएसटीआर-3बी में केवल 1 लाख रुपये की बिक्री पर कर दिखाया है, तो सरकार को जनवरी से अधिकारियों को उसके व्यावसायिक परिसर में 99 लाख रुपये की बिक्री पर जीएसटी की वसूली के लिए भेजने का अधिकार होगा। ऐसे में सरकार को नोटिस देने की जरूरत नहीं है।
इस नए प्रावधान पर बात करते हुए चौधरी नवल एंड असोसिएट्स के संस्थापक श्री नवल चौधरी ने कहा कि डीलर कम जीएसटी देने के परिणामों से अच्छी तरह वाकिफ हैं, फिर नोटिस की जरूरत क्यों होगी। लेकिन क्लेरिकल/तकनीकी त्रुटि को लेकर जबरदस्ती पद्धति का उपयोग करके करों की वसूली का आधार बनाया जा सकता है।
दिल्ली के किशन चंद सुरेश कुमार के मालिक श्री मोहित बंसल का कहना है कि सरकार के इस प्रावधान से दुकानदारों की परेशानी बढ़ेगी, जीएसटी अधिकारी बेवजह परेशान करेंगे। सरकार को जीएसटी की वसूली को प्रभावी बनाने के लिए सहज नियम बनाने चाहिए, जिससे टैक्स भी ज्यादा मिलेगा, और व्यासाय भी शांतिपूर्ण तरीके से चलेगा। इस नए प्रावधान से एक व्यापारी की परेशानी ज्यादा बढ़ेगी।