अब वुड बेस्ड इंडसट्री पर भी होगा सरकार का फोकस

Saturday, 26 March 2022

केन्द्रीय बजट 2022-23 में एग्रो फॉरेस्टरी पर ध्यान देने की बात की गई थी। हाल ही में जब प्रधानमंत्री कार्यालय की उपस्थिति में एक वेब कांफ्रेंस आयोजित किया गया, तो चर्चा से यह बहुत स्पष्ट हो गया कि वुड बेस्ड इंडस्ट्री और एग्रो-फॉरेस्टरी जल्द ही उन जंजीरों से मुक्त हो जाएंगे, जो इसके विकास में समस्या बनती जा रही हैं। उद्योग, अधिकारियों और विशेषज्ञों की राय, एग्रो फॉरेस्ट्री के लिए रोड मैप बनाने के लिए समिति का गठन, वुड बेस्ड इंडस्ट्री के लिए योगदान के रूप में अब सही दिशा में एक कदम प्रतीत हो रहा है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन प्लाइवुड एंड पैनल इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष श्री सज्जन भजनका के नेतृत्व में पीएमओ के साथ एक वेबिनार के दौरान भारतीय लकड़ी आधारित उद्योगों के विकास के लिए जरूरी बातों का उल्लेख करते हुए एक मसौदा प्रस्तुत किया और नीति में बदलाव के लिए अनुरोध किया गया। उन्होंने उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसके तेजी से निष्पादन के लिए भारत के प्रधानमंत्री से
हस्तक्षेप की मांग की।

फिप्पी ने एग्रो फॉरेस्टरी को फारेस्ट से कृषि क्षेत्र में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा और कहा इस प्रकार एग्रो फॉरेस्ट्री में लगे किसानों को कृषि से सम्बंधित सभी आर्थिक लाभ प्रदान किए जा सकेंगे। उन्होंने विनियर मिल, सॉ मिल, प्लाईवुड, एमडीएफ, पार्टिकल बोर्ड, पल्प और पेपर, फर्नीचर इंडस्ट्री और अन्य सभी उद्योगों सहित वुड बेस्ड इंडस्ट्री के इकाइयों के लिए लाइसेंसिंग की जरूरत को हटाने का भी प्रस्ताव रखा, जो मुख्य रूप से ‘प्लांटेशन टिम्बर‘ और इसकी उपज को कच्चे माल के रूप में उपयोग करते हैं।

भारत कई मायनंे में लाभ की स्थिति में है, क्योंकि यहाँ दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा कृषि योग्य भूमि संसाधन है, जो लकड़ी में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में काफी सहायक हो सकता है। हालांकि, जैसा कि भारत के रियल एस्टेट और फर्नीचर की मांग में तेजी से उछाल देखा जा रहा है, इसके चलते इसके लकड़ी के आयात पर निर्भरता बढ़ने की संभावना है, क्योंकि भारत पैनल की अपनी सभी जरूरतों को
पूरा करना चाहता है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रोत्साहन के माध्यम से कृषि क्षेत्र को नकदी फसलों से एग्रो फॉरेस्टरी में स्थानांतरित करने से किसानों की आय में वृद्धि होगी, लकड़ी आधारित उद्योगों को निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी और ग्रामीण इलाकों में रोजगार पैदा करने में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, इस प्रकार ग्रामीण भारत से हो रहे ब्रेन ड्रेन को रोका जा सकेगा और देश का ग्रीन कवर और पारिस्थितिकी मजबूत किया जा सकेगा।

वेबिनार में हरियाणा वन विकास निगम के पूर्व एमडी श्री आर के सपरा ने भी अपना मसौदा प्रस्तुत किया और उन्होंने लकड़ी की उपलब्धता, भारत में एग्रो फॉरेस्ट्री के विकास और प्लांटेशन आदि के आधार पर वुड बेस्ड इंडस्ट्री के लाइसेंस को हटाने की भी वकालत की। फिप्पी के अध्यक्ष श्री भजंका का मानना है कि भारत सरकार वुड बेस्ड इंडस्ट्री को सहयोग देने के लिए बहुत गंभीर है, और नई इकाइयों की स्थापना के लिए लाइसेंस की जरूरत को जल्द ही हटा दिया जाएगा। अब इस अंक पर संक्षेप में बात करें तो, इसमें श्री मनोज लोहिया (मेरिनो), श्री शेखर सती, (ग्रीन पैनल), श्री प्रकाश तवानिया, (कोर, सूरत) के साथ बातचीत प्रकाशित की गई है, जिन्होंने उद्योग और व्यापार में आए नए बदलावों तथा विकास पर रोशनी डाली है, इनकी बातें उद्योग और व्यापार के लोगों के लिए सीखने योग्य है। रेहाउ किचन की लांचिंग और रेहाउ इंडिया के सफलता पूर्वक 25 वर्ष पूरे होने के उत्सव का भी प्रकाशन किया गया है। कई न्यूज रिपोर्ट, करेंट अफेयर्स के साथ ही लॉन्चिग, प्रोडक्ट अपडेट आदि कई कवरेज पढ़ने योग्य हैं।

सभी को वित्तीय वर्ष 2022-23 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं!

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