पूरे देश में कंस्ट्रक्शन की गतिविधिया शुरु होने के साथ फरवरी में फिल्म फेस शटरिंग प्लाईवुड की मांग बढ़ने से सप्लाई में दिक्क्तों का सामना करना पड़ा। मार्च में कमोडिटी की कीमतों में तेजी देखी गई, जिसके चलते खरीददारी भी ज्यादा मात्रा में हुई। पूरे भारत से परियोजना सलाहकारों और बिल्डरों से प्राप्त रिपोर्ट, ना केवल स्टील और सीमेंट में कीमतें बढ़ने के बाद बहुत उत्साहजनक है, बल्कि फिल्म फेस प्लाइवुड का डिमांड भी इसी सक्रियता को दिखाता है। शटरिंग प्लाइवुड मैन्युफैक्चरर्स को डिस्ट्रीब्यूटर्स से अच्छे ऑर्डर मिल रहे हैं, जो खासकर बड़े कंस्ट्रक्शन साईट और सरकारी परियोजनाओं से आ रही है।
विभिन्न कंस्ट्रक्शन साईटो से मिली रिपोर्टं के अनुसार, रुकी हुई या धीमी गति से चलने वाली परियोजनाओं पर काम पूरे जोरों पर फिर से शुरू कर दिया गया है, जिससे बड़े पैमाने पर शटरिंग प्लाई की जरूरत पैदा हुई। उत्तर भारत में, फिल्मफेस प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट मार्च में पूरी क्षमता से चलती देखी गईं। लगभग हर शटरिंग प्लाई मैन्यूफैक्चरर्स के पास ऑर्डर पेडिंग रहने से वे उत्साहित दिखे। यह भी स्पष्ट है कि पेमेंट पहले के 60 दिनों की तुलना में साप्ताहिक साइकल तक आ गया है।
ऑर्डर फ्लो विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, असम, गुजरात, दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, कर्नाटक, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों के शहरों से आ रहे है। इन राज्यों में कंस्ट्रक्शन के कामकाज में तेजी आई है क्योंकि सरकारी परियोजनाओं के अलावा यहाँ विभिन्न उत्पादों की नई मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी भी स्थापित की जा रही हैं। पुणे, कोल्हापुर, सूरत, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, गुवाहाटी, दिल्ली-एनसीआर, मोहाली जैसे व्यावसायिक रूप से अग्रणी शहरों के साथ-साथ ट्राई-सिटी के चलते भी मांग बढ़ रही हैं।
कमर्शियल ग्रेड एमआर शटरिंग प्लाइवुड की मांग ग्रामीण बाजारों और टियर थ्री शहरों में अब काफी ज्यादा है। इन्फ्रा से संबंधित परियोजनाएं और ऊंची-ऊंची बिल्डिंग की बड़ी परियोजनाओं की वजह से 34 किलो पीएफ ग्रेड की मांग में सभी मेट्रो शहरों में तेजी बनी हुई है। कमर्शियल शटरिंग प्लाइवुड के सेमी-डेंसिफाइड ग्रेड में महामारी की तीसरी लहर के बाद तेज वृद्धि देखी जा रही है।
निर्माताओं का कहना है कि उन्हें लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं और मार्च में करीब 30 दिनों से ऑर्डर पेंडिंग थे। बढ़ती मांग के साथ, मैन्यूफैक्चरर्स, आश्वस्त और उत्साहित हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि स्टील और सीमेंट की कीमतों में तेजी के कारण अप्रैल के बाद मांग में कमी आ सकती है, जिससे मैन्यूफैक्चरिंग की गतिविधियां अस्थायी रूप से धीमी हो जाएगी।