रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती ने सस्ते आयात की संभावनाओं को प्रभावित किया है जिससे घरेलू एमडीएफ कंपनियों को फिलहाल राहत मिली है। जून और उसके बाद थाईलैंड, वियतनाम और श्रीलंका से एमडीएफ के बढ़ते आयातकी खबरें आने लगी थीं, और समुद्री भाड़ा में गिरावट से इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी। जून, जुलाई और अगस्त में आयातित थिन एमडीएफ बोर्ड और ग्रीन बोर्ड बाजार में देखी जाने लगी थी।
हालांकि आयात कोविड के पहले जैसा फ्री फ्लो नहीं था, फिर भी बाजार में कुछ दबाव स्पष्ट रूप से बढ़ रहा था। बाद में डॉलरके मुकाबले रूपए की गिरती कीमत (80़ रुपये) से एमडीएफ का आयात अचानक एक बार फिर प्रभावित होने लगा है। आयातकऔर कंसाइनिंग एजेंट भारत में इम्पोर्टेड एमडीएफ बाजार में अपनी हिस्सेदारी हासिल करने की जुगत में रहते हैं। जब तकडॉलर की कीमत ज्यादा है, तब तक एमडीएफ सप्लायर को फ्री रन नहीं मिल पाएगा। हालांकि सी फ्रेट में गिरावट जारी है, जो इम्पोर्ट को सहयोग कर सकता है।
सेंचुरी प्रोवुड के श्री अवतार सिंह भुल्लर ने प्लाई रिपोर्टर से कहा कि हम एमडीएफ के बढ़ते आयात पर नजर रख हुए रहे हैं। दक्षिण-पूर्व देशों से आयात में कुछ उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है, लेकिन डॉलर के ऊँचे रेट के साथ एमडीएफ की क्वालिटी मानक से कम होने से यूजर्स को ऐसे मटेरियल के आयात में निवेश करने का कोई मतलब नहीं है, जब उन्हें किफायती दामोंपर उससे अच्छी क्वालिटी के घरेलू एमडीएफ मिल सकता है।
प्लाई रिपोर्टर के जुलाई अंक में रिपोर्ट में कहा गया था कि कोविड के दौरान देश में इम्पोर्टेड एमडीएफ की हिस्सेदारी बाजार में लगभग नगण्य थी, लेकिन अब इसमें 3 से 4 फीसदी की वृद्धि हुई है। डोमेस्टिक इंडस्ट्री के लिए, टिम्बर की कीमत बढ़ी है, लेकिन इम्पोर्ट आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ने से एमडीएफ की कीमतंे नहीं बढ़ी।
इम्पोर्टेड एमडीएफ श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम से चेन्नई, मुंबई, हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद आदि के बाजार में पहुंच रहा है। ज्ञातव्य है कि हाई डेंसिटी हाई मॉइस्चर रेजिस्टेंसm ग्रेड एमडीएफ काफी मात्रा में आ रहा है। कुछ बाजार में वैल्यू ऐडेड एमडीएफ केटेगरी में इम्पोर्टेड और डोमेस्टिक मेटेरियल में प्रतिस्पर्धा बढ़ती दिख रही है।
हालांकि बाजार से मिली जानकारी से पता चलता है कि हाई डेंसिटी एमडीएफ कैटेगरी में दोनों मेटेरियल की कीमत ग्राहकों के लिए बराबर है, कुछ जगहों पर, स्कीम या अन्य सेल्स राइडर के साथ मेटेरियल सस्ती दरों पर भी उपलब्ध है। लेकिन इतना तय है कि मेटेरियल के आने से इम्पोर्ट मेटेरियल की पैठ बढ़ेगी।