ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने नागालैंड में अपने तिजिट प्लांट से ग्रीन-राइज प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस परियोजना के तहत वुड पैनल उद्योग से जुड़े आर्किटेक्ट्स के नाम पर प्लांटेशन किया जा रहा है। इसकी मदद से कंपनी एफएससी फारेस्ट मैनेजमेंट मॉडल को अपनाते हुए पर्यावरण को बढ़ावा दे रही है और समाज को आत्मनिर्भर बना रही है। प्लाई रिपोर्टर संवाददाता ने हाल ही में नागालैंड के तिजित में स्थित ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज प्लांट का दौरा किया और बहुत उपयोगी जानकारी प्राप्त की, जिससे हर प्लाईवुड इंडस्ट्री सीख सकता है।
प्लाई रिपोर्टर से बात करते हुए, श्री अमित कुमार, कमर्शियल हेड, ग्रीनप्लाई ने कहा कि पहले चरण में, ओडिशा के आर्किटेक्ट्स के नाम पर 210 पौधे लगाए गए हैं। उसके बाद बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड और एमपी राज्यों के आर्किटेक्ट्स पर विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस मॉडल के तहत प्रत्येक पेड़ पर एक बारकोड होता है, जिसमें आर्किटेक्ट का नाम, पता, पौधे लगाने की तारीख और समय के साथ-साथ पेड़ की प्रजाति और व्यक्ति का कॉन्टैक्ट नंबर भी दर्ज होता है। इन पौधों को तैयार होने में 7 से 8 साल का समय लगेगा और जब इन्हें काटा जाएगा तो इससे कमाए गए धन प्लांटर आर्किटेक्ट्स के नाम से किसी जरूरतमंद संस्था या स्कूल को दान कर दिया जाएगा।
फिलहाल इस मिशन के तहत करीब तीन एकड़ जमीन चिन्हित की गई है, जिसमें करीब 1400 पौधे लगाए जाएंगे। तिजीत प्लांट के महाप्रबंधक एके दुबे ने बताया कि कंपनी ने राज्य सरकार और स्थानीय लोगों के सहयोग से इस मिशन की शुरुआत की है। वे इसमे खासी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि प्रोजेक्ट के साथ कंपनी लोगों को पौधों की उपलब्धता के साथ-साथ पेड़ लगाने की विधि के बारे में भी शिक्षित कर रही है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में लगभग 70 किसानों ने एफएससी के तहत पंजीकरण कराया है, इसके अलावा 100 से ज्यादा ऐसे किसान और निजी भूमि मालिक हैं जो कंपनी के वन प्रबंधन कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं। श्री दुबे का कहना है कि वर्ष 2014 में करीब 600 एकड़ भूमि से शुरू किया गया यह मिशन वर्तमान में 3400 एकड़ में फैल चुका है, जिसमें करीब 16 लाख पौधे रोपे जा चुके हैं।
कंपनी के अधिकारी ने बताया कि एक एकड़ में करीब 455 पौधे रोपे जाते हैं। एक पेड़ 12 से 15 क्यूबिक फीट टिम्बर का उत्पादन करता है, जिसका गार्थ लगभग 80 मिमी से 100 सेमी होता है। 1 क्यूबिक फीट 108 मिमी मोटे लगभग 16 वर्ग मीटर विनियर का उत्पादन करता है, जबकि 1 क्यूबिक फीट टिम्बर की लागत 250 रुपये से लेकर 400 रुपये तक होती है, जिसका मतलब है कि एक किसान प्रति पेड़ 3000 रुपये से 6000 रुपये कमाता है।
उनके अनुसार वर्ष 2022-23 में कंपनी को 8 से 9 लाख क्यूबिक फीट स्टेम उपलब्ध था, जबकि वर्ष 2023-24 में लगभग 12 लाख क्यूबिक फीट स्टेम उपलब्ध होने की उम्मीद है, जो कंपनी के तिजीत के प्लांट के लिए जरूरत से कही ज्यादा होगा। वह कहते हैं कि कंपनी ने अपनी नर्सरी तैयार की है। इस नर्सरी में सफेदा, मिलिया दूबिया, दुआबंगा (खोखन), कैनारियम और टर्मिनेलिया प्रजाति के पौधे तैयार किए जाते हैं।