उत्तराखंड में बालाजी एक्शन टेसा का और आंध्र प्रदेश में ग्रीन पैनल का कमर्शियल प्रोडक्शन के शुरू होने के साथ, भारत में एमडीएफ की उत्पादन क्षमता लगभग दोगुनी हो गई है। एक्शन टेसा ने इस साल 1 अप्रैल से कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू किया, जो सिम्प्लकैम्प यूरोपीय मैन्यूफैक्चरिंग लाइन के साथ 800 क्यूबिक मीटर है। ग्रीन पैनल के एमडीएफ लाइन सप्लायर, डिफेनबाकर ने अप्रैल में बोर्ड के उत्पादन की घोषणा की, यहां प्रति दिन उत्पादन क्षमता 1200 क्यूबिक मीटर है।
यह विदित है कि पंजाब में सेंचुरी प्लाई एमडीएफ यूनिट की शुरुआत के बाद, कुल स्थापित क्षमता प्रति दिन 2300 सीबीएम तक पहुंच गई है। अब दो नए मेगा कैपेसिटी प्लांट के शामिल होने से भारत ने एमडीएफ में अपनी मैन्यूफैक्चरिंग कैपेसिटी को लगभग दोगुना कर लिया है। निर्माता और आपूर्तिकर्ता उम्मीद कर रहे हैं कि यह उत्पाद भविष्य में सस्ते ग्रेड प्लाइवुड के कुछ हिस्सों को रिप्लेस करेगा इसलिए वे आगे बढ़ रहे है लेकिन वे यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि इसमें समय लगेगा। इसके अलावा 500 करोड़ रुपये से अधिक का आयात भी मौजूदा बाजार में है।
एमडीएफ, डेकोरेशन, फ्लोरिंग, डेकॉर परपस, शटर, वार्डरोब, ग्रिल, रैक इत्यादि जैसे कई इंटीरियर डेकॉर एप्लीकेशन में तेजी से अपनाया जा रहा है। निर्माता मानतें हैं कि एमडीएफ में इन उपयोगों के बढ़ने से विकास की उम्मीद है क्योंकि सरफेसिंग, डिवीजन और फर्नीचर बनाने में इसके उपयोग में वृद्धि हुई है। सरकारी विभागों और पीएसयू में हो रहे विकास कार्यों और एमडीएफ की स्वीकृति भी इस सेगमेंट में मांग में वृद्धि में मदद कर रही है। देश के अग्रणी निर्माताओं का मानना है कि उपलब्धता में वृद्धि और कीमतें नरम होने के कारण एमडीएफ का ग्रोथ अगले तीन वर्षों तक स्थिर रहेगा। प्लाई रिपोर्टर के आकलन से पता चलता है कि प्लाइवुड सेगमेंट में 10 से 12 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले अगले तीन वर्षों में एमडीएफ में 19 -21 प्रतिशत की वृद्धि होगी।