गुजरात के वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा मुंबई वन अधिनियम (गुजरात सुधार अधिनियम) 2018 के प्रावधान के तहत जारी की गयी नवीनतम अधिसूचना के अनुसार आयातित लकड़ी (इंपोर्टेड वुड) आधारित औद्योगिक इकाइयों को अब राज्य में अपने कारखानों को संचालित करने या चलाने के लिए लाइसेंस नहीं लेना पड़ेगा। गुजरात की समूची वुडेन इंडस्ट्री ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। माना जा रहा है कि सरकार ने यह कदम राज्य में लकड़ी आधारित उद्योग और संबंधित व्यापार को बढ़ावा देने और इससे जुड़े ट्रेडर्स को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उठाया है।
गुजरात सरकार द्वारा की गई इस घोषणा के अनुसार, केवल इंपोर्डेट वुड (आयातित लकड़ी) कन्वर्जन इंडस्ट्री को इस नए नियम के तहत लाइसेंस प्राप्त करने से छूट दी गई है। इस नये नियम के तहत इस उद्योग से संबंधित इकाइयों को अपना पंजीकरण कराना होगा। इस संबंध में कोई भी ताजा और नवीकरण शुल्क वसूल नहीं लिया जाना है।
नये प्रावधान के तहत जिन लकड़ी आधारित इकाइयों को लाइसेंस से मुक्त रखा गया है, उनमें सॉ मिल्स, विनीयर यूनिट्स, प्लाइवुड इकाइयाँ, पार्टिकल बोर्ड/एमडीएफ आदि शामिल हैं। आयातित लकड़ी का उपयोग करने वाली इकाइयों को केवल संबंधित प्राधिकरण के साथ खुद को पंजीकृत करने की आवश्यकता होगी, जो एक सरल प्रक्रिया है। कांडला टिम्बर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री नवनीत गज्जर ने कहा कि हम इस नए नियम से खुश हैं और इस कदम से पूरी आयातित लकड़ी आधारित उद्योगों को फायदा होगा, जिसमें प्लाइवुड, पार्टिकल बोर्ड, एमडीएफ इत्यादि के लिये इंपोर्टेड वुडस का उपयोग करने वाले उद्योग शामिल है।