अधिक औद्योगिकीकरण और उद्योगों में तेज और प्री-असेम्ब्लड संरचनाओं की स्वीकृति के साथ, स्पेशलिटी ग्रेड प्लाइवुड के अप्लीकेशन की संभावना बढ़ रही है। सामान्य फिल्म फेस प्लाइवुड का उपयोग कंस्ट्रक्शन सेक्टर तक सीमित है जबकि एलवीएल, पैलेट्स, इलेक्ट्रिकल ग्रेड और परिवहन क्षेत्र के प्लाइवुड जैसी अन्य मेटेरियल पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रही है। रियल एस्टेट के प्लेयर्स या प्रीमियम हाउस कंस्ट्रक्शन में उपयोग की जाने वाली प्री-हंग डोर का चलन बढ़ने के कारण एलवीएल की मांग में वृद्धि परिलक्षित हो रही है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में कमजोर सेंटीमेंट के बावजूद, हाइवेज के बढ़ते नेटवर्क और ऑर्गनाइज्ड वेअरहाउसिंग बड़े साइज के ट्रक की मांग बढ़ाने में मदद कर रही है। सड़क राजमार्गों में विस्तार और केंद्र सरकार के रोड इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान केंद्रित करने से परिवहन क्षेत्र की कंपनियां आगे बढ़ने के लिए प्रेरित हो रहे है, जो फ्लोरिंग के लिए चेकर्ड प्लाइवुड की मांग के लिए उत्प्रेरक साबित हो रहा है। पिछले कई महीनों से वाणिज्यिक वाहन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। मूलभूत वृद्धि बुनियादी ढांचागत गतिविधियों में निरंतर निवेश ने मांग को बढ़ावा देने में मदद की है।
माल के लिए लॉजिस्टिक सेक्टर ट्रक और बसों में फ्लोरिंग के लिए डंेसिफाइड चेक्डर्ड प्लाइवुड का उपयोग बड़े पैमाने पर करता है जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी उज्जवल संभावना दर्शा रहा है। इसके अलावा, जब कुछ राज्य सरकारों ने वाहनों के ओवरलोडिंग पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करना शुरू कर दिया तो कई ट्रक निर्माताओं की बिक्री वर्ष के शुरुआती महीनों में अधिक थी। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि
जो वाहन यूरो 4 ईंधन मानकों को पूरा करते हैं, उन्हें ही अप्रैल 2020 से देश में बेचे जाने की अनुमति होगी। इसके अलावा, खरीदार भी नए उत्सर्जन मानदंडों के बारे में आशंकित हैं जो 18 महीने से कम समय में शुरू हो जाएगें। पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध, नए ट्रकों और बसों की मांग को भी बढ़ाएगा, जो इसके फ्लोरिंग के लिए चेकर्ड प्लाइवुड की मांग और अधिक बढ़ाएगा।
बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड, महिंद्रा एंड महिंद्रा, भारत बेंज, आइसर जैसी प्रमुख ऑटोमोबाइल बनानेवाली कंपनियों से उम्मीद है कि जब बाजार में तरलता की समस्या खत्म हो जाएगी, वे बेहतर प्रदर्शन करेंगे। एफआर ग्रेड प्लाइवुड के एप्लीकेशन भी फायर से सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार द्वारा उठाए गए कड़े कदमों के बाद बहुत बढ़ा है। बढ़ती औद्योगिक गतिविधियों के चलते पैलेट्स की मांग भी बेहतर होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के अनुसार, 4 नई मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां देश के विभिन्न हिस्सों में इन उत्पाद श्रेणियों में प्रवेश कर रही हैं। उन्होंने इस सेक्टर की मांग को पूरा करने के लिए विभिन्न बड़े आकार के प्रेस लगाने की भी योजना बनाई है। सूरत स्थित एक प्रमुख प्लाइवुड उत्पादक मालचंद ग्रुप एंड संस इस सेगमेंट के लिए नया प्रेस लगाने जा रहा है। कंपनी के निदेशक श्री अमित अग्रवाल ने कहा कि हम पहले से ही ट्रक-बस फ्लोरिंग के लिए प्लाइवुड का उत्पादन कर रहे हैं, लेकिन हम विस्तार भी कर रहे हैं क्योंकि हमने और बड़े बाजार की मांग को पूरा करने की योजना बनाई है। हमारे उत्पाद अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानदंडों के साथ प्रमाणित है, और हम फायर रेटेड प्रमाणित उत्पादों का उत्पादन कर रहे हैं। हमारा नया प्रेस एक-दो महीने के भीतर व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर देगा। इसके अलावा, यूपी स्थित अम्बा ग्रुप, यमुनानगर स्थित शिवम प्लाइवुड के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में 2 प्लाइवुड निर्माता इस उत्पाद के मैन्यूफैक्चरिंग में प्रवेश करने की योजना बना रहे हैं।
ऐसी खबरें हैं कि दक्षिण भारत की 2 और कंपनियां टिम्बर स्पेसीज और दक्षिण से बाजार की कीमतों के आधार पर अपनी रिपोर्ट पूरी कर रही हैं। मशीनरी सप्लायर्स के सूत्र ने भी प्लाई रिपोर्टर संवाददाता को बताया कि उनसे ट्रक-बस फ्लोर बनाने के लिए 6 से 7 ऐसे हाई डेंसिटी बड़े आकार के प्रेस के बारे में पूछताछ की गई हैं। एक साल पहले यमुनानगर स्थित सनराइज पैनल ग्रुप ने इन उत्पादों के मैन्यूफैक्चरिंग में प्रवेश किया और वे परिवहन क्षेत्र से आ रही मांग को पूरा करते हुए सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं।