4 मई से कई प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरिंग कलस्टर में उत्पादन फिर से शुरू होने की खबर है, लेकिन प्रवासी मजदूरों का घर जाने को तैयार बैठी है, प्लाइवुड उत्पादकों के लिए अपनी इकाइयों को सुचारू रूप से चलाना अब मुश्किल हो जाएगा, जिसके चलते मेटेरियल का उत्पादन तेजी से गिरेगा, सप्लाई घटेगी, जिसका असर प्लाइवुड के मूल्य वृद्धि पर भी दिखेगा।
लगातर बदलते हालात में प्लाइवुड का उत्पादन अब सुचारू रूप से चलाना एक चुनौतीपूर्ण कदम होगा। सरकार ने आर्थिक गतिविधियों के लिए कुछ राहत के साथ राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के तीसरे चरण के दौरान 4 मई, 2020 से ग्रीन जोन में और कुछ प्रतिबंधों के साथ ऑरेंज जोन में भी मैन्यूफैक्चरिंग की अनुमति दी है। कई राज्यों जैसे कि हरियाणा, पंजाब, यूपी, बिहार, केरल, गुजरात आदि में प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरिंग के कलस्टर में उत्पादन फिर से शुरू करने की सूचना है।
उत्पादक, लॉकडाउन के कारण अपने परिसर में रहने वाले कामगारों के साथ कच्चे माल जैसे लकड़ी, रेजिन आदि का उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन कारखानेां के मालिकों का मानना है कि लेबर कारखानों में अधिक समय तक नहीं रहेंगे क्योंकि सरकार द्वारा उनके लिए ट्रेनों की व्यवस्था करने के बाद वे तुरंत घर जाना चाहते हैं। निर्माताओं का कहना है कि लेबर अगले 2-3 महीनों तक काम पर वापस नहीं आऐंगे, इसलिए फैक्ट्री का सुचारू संचालन कठिन होगा।
प्लाइवुड उत्पादकों का कहना है कि उनके पास कई पेंडिंग ऑर्डर हैं, और दुकानदार मेटेरियल भेजने के लिए कह रहे हैं, इसलिए शुरू में वे उन्हें पुरानी दरों पर मेटेरियल भेज रहे हैं, लेकिन पुरानी दरों पर नए ऑर्डर देना उनके लिए संभव नहीं होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि न्यूनतम परिचालन कार्यबल के साथ, उनकी ओवरहेड कॉस्ट तुरंत बढ़ जाएगी, इसलिए तैयार उत्पाद के रेट बढ़ेंगे।
विभिन्न प्लाइवुड बाजारों से प्राप्त रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि वितरकों और डीलरों के पास प्लाइवुड के सीमित स्टॉक है, इसलिए वे काम शुरू होने के दो सप्ताह बाद, प्लाइवुड देने में समक्ष नहीं होंगे। सरकारें अपनी परियोजनाओं और कई मैन्यूफैक्चरिंग परियोजनाओं को कुछ प्रोत्साहन पैकेज योजना के साथ शुरू करने की कोशिश कर रही हैं, इसलिए जनरल परपस प्लाइवुड से ज्यादा तत्कालिक रूप से शटरिंग प्लाइवुड और दरवाजों की मांग अधिक होगी।
केरल के एक निर्माता का कहना है कि अगर वह मौजूदा मजदूरों का उपयोग नहीं करते हैं तो वे वापस चले जाएंगे क्योंकि उनमें से कई ने अपने पास उपलब्ध करा लिए हैं। हर दिन दो ट्रेनें विभिन्न राज्यों में मजदूरों को लेकर जा रही हैं। हरियाणा और पंजाब में भी स्थिति ऐसी ही है क्योंकि अकेले पंजाब में लगभग 6.5 लाख श्रमिकों ने वापस जाने के लिए खुद को पंजीकृत कराया है।