उत्तर प्रदेश वन विभाग ने एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल )के अंतिम आदेश के खिलाफ के खिलाफ सर्वोच्च न्यायलय जाने की तयारी कर ली है। ट्रिब्यूनल ने 18 फरवरी, 2020 को दिए अपने आदेश में लाइसेंसिंग प्रक्रिया को समाप्त कर दिया था, साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नए वुड वेस्ड इंडस्ट्री की स्थापना के लिए जारी नोटिस को भी यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि, इन इकाइयों के लिए प्रदेश में शायद ही कोई लकड़ी उपलब्ध होगी।
इस मामले में ताजा घटनाक्रम यह है कि यूपी वन विभाग ने भारत के सॉलिसिटर जनरल, श्री तुसार मेहता, सीनियर एडवोकेट सुश्री ऐश्वर्या भाटी और एडवोकेट श्री कमलेन्द्र मिश्रा को एनजीटी के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने के लिए नियुक्त किया है। उसके लिए एक मसौदा भी तैयार किया गया है और राज्य के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के मुख्य सचिव के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया है। यह कदम रामपुर स्थित श्री प्रदीप जैन द्वारा दायर शिकायत के मद्देनजर किया गया है, जिसमें ऊन्होंने भारत सरकार को लिखे एक पत्र में इस मामले की समीक्षा करने के लिए प्रार्थना की थी।
1 मार्च, 2019 को जारी किए गए नोटिस में, यूपी सरकार ने लकड़ी आधारित 1,350 नए उद्योगों के लिए लाइसेंस जारी करने का प्रस्ताव दिया था और इसके लिए आवेदन और लाइसेंस की प्रक्रिया के बाद प्रोविजनल लाइसेंस भी जारी किए गए थे। उन प्रोविजनल लाइसेंस के आधार पर कई उद्योगपतियों ने मशीनें लगाने, भूमि अधिग्रहण और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने में काफी पूँजी निवेश किया था। लाइसेंसिंग प्रक्रिया रद्द होने के बाद, सरकार, सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की तैयारी कर रही थी। वन विभाग ने कहा कि वे अपने स्तर पर सर्वोत्तम प्रयास कर रहे हैं। अगर फैसला यूपी सरकार के पक्ष में आता है तो वे बिना किसी देरी के लाइसेंसिंग प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे।