20 जुलाई, 2020 को बीआईएस की ब्म्क्-20 की बैठक में प्लाइवुड पर आईएसआई स्टैण्डर्ड में संशोधन की आवश्यकता का मामला उठा। बैठक में ग्रीनप्लाई द्वारा उठाए गए उपर्युक्त बिंदुओं को धैर्यपूर्वक सुना गया और संशोधित बीआईएस स्टैण्डर्ड के लिए मसौदा प्रस्तुत करने का सुझाव दिया गया। संशोधन का उद्देश्य सर्वोत्तम भौतिक-यांत्रिक गुणों के परीक्षण मूल्यों को शामिल करना है, जिससे प्लांटेशन टिम्बर का उपयोग कर प्राप्त किया जा सके, ताकि मानकों की गरिमा कम ना हो।
दरअसल मौजूदा प्लाइवुड बीआईएस स्टैण्डर्ड का निर्धारण, कई साल पहले नेचुरल फाॅरेस्ट से प्राप्त, पुराने व परिपक्व लकड़ी से बनी, प्लाई के आधार पर तैयार किया गया है। उन दिनों प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग के लिए चयनित लकड़ियां बहुत उपयुक्त थी।
आज चीजें पूरी तरह से बदल गई हैं और पिछले चैबीस वर्षों से, प्लाइवुड उद्योग पूरी तरह से प्लांटेशन टिम्बर पर निर्भर है। ऐसा माना जाता है कि 5-10 साल का प्लांटेशन टिम्बर में 30-50 साल पुरानी परिपक्व लकड़ी की तुलना में कम ताकत होती है। प्लांटेशन टिम्बर से बनी प्लाई के कई भौतिक-यांत्रिक गुणों को बीआईएस मानकों में निर्धारित सभी मेकानिकल गुणों को पूरा नहीं किया जा सकता है।
आज उद्योग के पास प्लाइवुड बनाने के लिए सबसे अच्छी तकनीक, मशीन व उच्च क्वालिटी रेजीन है। लेकिन, उद्योग को केवल शार्ट रोटेशन वाले प्लांटेशन वुड पर निर्भर रहना पड़ता है। यही कारण है कि प्लाइवुड से संबंधित बीआईएस स्टैण्डर्ड में आवश्यक संशोधन करना, समय की मांग है। इस विषय पर विस्तृत रिपोर्ट प्लाई रिपोर्टर के अगले अंक में प्रकाशित किया जाएगा । जिसमें प्लाई इंडस्ट्री के तमाम लोगों और कई टेक्निकल जानकारों से बातचीत कर उनकी राय को भी प्रकाशित किया जाएगा।