यमुनानगर, भारत के कुल प्लाइवुड बाजार का 48 से 50 फीसदी यानी सबसे बड़ी बाजार हिस्सेदारी के साथ प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग का सबसे बड़ा केंद्र है। यमुनानगर प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग तकनीक, किफायती कीमत पर सबसे अच्छी गुणवत्तापूर्ण उत्पाद पेशकश करने में एक ट्रेंडसेटर होने का पर्याय है। यमुनानगर को वास्तविक उद्यमिता व् कौशल का स्मार्ट और भारतीय तरीका भी माना जाता है।
इतनी सारी खूबियों के साथ, यमुनानगर को आसानी से चुनौती नहीं दी जा सकती है। बहुत से लोग पूछतें हैं, क्या यमुनानगर की बाजार हिस्सेदारी को दूसरे ले जाएगें? क्या यह संभव है कि अन्य जगहों पर किफायती पर अच्छी गुणवत्तापूर्ण प्लाइवुड का उत्पादन हो सके? क्या यमुनानगर के निर्माता भविष्य में अपनी पकड़ और आकर्षण खो सकते हैं? जब तक यमुनानगर की फैक्ट्री और व्यवसाय संचालन के अपने विकसित और अभिनव स्वरूप को छोड़ नहीं देता है, तब तक इसका जवाब देना आसान नहीं है। दरअसल, यमुनानगर का ग्रोथ का निर्धारण मुख्य रूप से सस्ती कीमत पर लकड़ी की उपलब्धता से होती है। यमुनानगर को पिछले 20 वर्षों से लगातार स्थानीय स्रोत व् पड़ोसी राज्यों से पोपलर और सफेदा की लकड़ी का अच्छा स्टॉक मिल रहा है, जो उन्हें प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग में विस्तार, विकास और अग्रणी बनाने में सहयोगी रहा हैं।
लेकिन, पिछले 5 वर्षों में, परिदृश्य बदल गया है क्योंकि अन्य टिम्बर क्लस्टर को भी सस्ती कीमत पर प्रचुर मात्रा में लकड़ी मिल रही है। केरल को रबड़ की लकड़ी और स्थानीय हार्डवुड प्रचुर मात्रा में हासिल हो रही है। कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश स्थानीय रूप से मेलिया-दुबिया की खरीद कर रहे हैं, और पूरे दक्षिणी राज्यों में मेलिया-दुबिया के अच्छी प्लांटेशन भी हुई है, जिसका उपयोग वे कोर विनियर के साथ-साथ फेस विनियर के रूप में भी कर रहे हैं। इसका मतलब है, उन्हें अच्छी पैदावार मिल रही है। गुजरात प्लाइवुड उद्योग भी आत्मनिर्भर बन रहा है, जहां नीलगिरी लकड़ी की आपूर्ति बढ़ रही है। पश्चिम बंगाल में लम्बु का अच्छा प्लांटेशन होने की सूचना है, जो स्थानीय प्लाइवुड उद्योग को विकसित करने में मदद कर रहा है। बिहार ने भी काफी प्लांटेशन टिम्बर’ उगाया है जो स्थानीय उद्योग को फायदा पहुचाएगा, और सरकार वहां प्लाइवुड के लिए और अधिक लाइसेंस देने पर विचार कर रही है।
उत्तर प्रदेश में लाइसेंस अस्थायी रूप से होल्ड है, लेकिन राज्य सरकार को भरोसा है कि वे सुप्रीम कोर्ट में केस जीतेंगे, हालांकि संभावना है कि कृषि आधारित वुड इन्डस्ट्री के लिए फ्री-लाइसेंसिंग नीति लागू की जा सकती है। हालात बताते है कि अगले 2-3 वर्षों में यूपी में लाइसेंस और आसान हो सकते हैं। हालांकि यूपी में कई आधुनिक और बड़े आकार के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की संख्या बढ़ने के साथ, पिछले 3 वर्षों में यूपी में उत्पादन क्षमता दोगुनी हो गई है, इसलिए स्थानीय स्तर पर लकड़ी की खपत बढ़ गई है। निस्संदेह चुनौती बढ़ रही है, लेकिन यह अभी भी एक-दो साल तक यमुनानगर के उद्यमियों के हाथों में है, अगर वे मजबूती से काम करते हैं। यमुनानगर अच्छी गुणवत्तापूर्ण उत्पाद तैयार करता है। उनके पास तैयार बुनियादी ढांचा है, लेकिन बाजार में जाने, मार्केटिंग पर खर्च करने और प्रोजेक्ट में उत्पादों की पेशकश करने में संकोच करते हैं। संक्षेप में, वे अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आने में संकोच कर रहे हैं। यदि वे संकोच तोड़ने के लिए तैयार हो जाएँ, तो वे विजेता बनकर, आने वाले समय में एक उदाहरण स्थापित कर सकते हैं। यमुनानगर को आज अग्रणी होने का फायदा उठाना चाहिए, अन्यथा कोई और आपके हिस्से का बाजार अपना लेगा।
इस जुलाई 2020 के अंक में बहुत सारे समाचार, मार्केट रिपोर्ट, प्रोडक्ट लॉन्च, कुछ संगठित ब्रांडों के वित्तीय रिपोर्ट और हाल ही में वुड पैनल और प्लाइवुड उद्योग और व्यापार का ताजा अपडेट प्रकाशित किया गया है। स्टाइलैम इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, श्री जगदीश गुप्ता के साथ विशेष बातचीत डेकोरेटिव लेमिनेट सेक्टर के लिए पढ़ने लायक है। उन्होंने एंटी फिंगरप्रिंट लैमिनेट को लाने के लिए विश्व का पहला जर्मन टेक्नोलॉजी के उपयोग करने के महत्व को बताया है और उद्योग के कई और पहलुओं पर चर्चा की है। वर्तमान समय में प्लाइवुड में बीआईएस स्टैंडर्ड की प्रासंगिकता पर ‘कवर स्टोरी‘ प्लाइवुड उद्योग और व्यापार की आखें खोलने वाली है। अन्य अपडेट्स, फीचर्स और इवेंट्स के साथ साथ कजारिया प्लाई द्वारा गांधीधाम में नई मशीनें और तकनीक के साथ ‘कैलिब्रेटेड प्लाइवुड‘ लाने को भी फीचर किया गया है।
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