गुजरात को ‘भारत में लेमिनेट इंडस्ट्री के मैनचेस्टर’ के रूप में भी जाना जाता है और इस उत्पाद केटेगरीमें डिजाइन के विकास का पूरा श्रेय गुजरात को दिया जाता है। समय के साथ यहां की कंपनियों ने अपनेप्रोडक्ट का विस्तार अलग-अलग देशों में किया, जिससे गुजरात को भारत के लेमिनेट निर्यात में अच्छी पहचान मिली है। गुणवत्ता और अच्छी डिजाइन एक अच्छे लेमिनेट की रीढ़ होती है। हालांकि, जिस तेजी से उद्योग का विस्तार हुआ, उसी तेजी से नए मैन्युफैक्चरर्स भी आए जिसके चलते बाजार में ओवर सप्लाई भी देखने को मिली, नतीजतन अब क्वालिटी और डिजाइन पीछे छूटता जा रहा है और कीमत महत्वपूर्ण होती जा रही है।
प्लाई रिपोर्टर ने अपने ब्रांड पार्टनर मैच ग्राफिक्स के साथ हाल ही में ‘‘लेमिनेट इंडस्ट्रीः क्या कहता है गुजरात -क्वालिटी, डिजाइन या प्राइसः क्या सबसे ज्यादा मायनेरखता है?’’ विषय पर 9 अगस्त, 2020 को एक वेबिनार का सफल आयोजन किया, जिसे विभिन्न सोशल मीडिया चैनलों पर 20,000 से अधिक लोगों ने लाइव देखा। यहां प्रस्तुत है वेबिनार के प्रमुख अंश।
इनोवेटिव डिजाइन के बाद बिक्री पर प्रभाव
श्री विशाल अग्रवाल, निदेशक, हेरिटेज लैमिनेटः मैं मानता हूं कि नए डिजाइन आने से हमारी बिक्री बढ़ी है, क्योंकि हम हमेशा अच्छे डिजाइन पेश करते रहे हैं जिससे हम वैसा कीमत भी लेते हैं। जब हम कुछ अच्छा करते हैं, तो हमें हमेशा सराहना भी मिलती है। जैसे जैसे समय बीतता है और बिक्री में गिरावट आती है, तो फिर से हमें गुणवत्ता से समझौता किए बिना नए
डिजाइन के साथ आना पड़ता है। इसलिए, मेरी राय में कीमत प्रमुख है, लेकिन निश्चित रूप से डिजाइन में निरंतर सुधार होना चाहिए।
श्री विशाल दोकानिया, निदेशक, सेडार डेकाॅर प्राइवेट लिमिटेड (ड्यूरियन लेमिनेट्स)ः लेमिनेट इंडस्ट्री वॉल्यूम में तेजी से बढ़ रहा है। दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में, ग्राहकों की बढ़ती क्षमता, सभी कंपनियों द्वारा डिस्ट्रीब्यूशन में उतरना, अच्छी गुणवत्ता और कम कीमत वाले डिजाइन की उपलब्धता के कारण अच्छा ग्रोथ हो रहा है। इसलिए, जब हम इनोवेशन की बात करते हैं, तो यह सभी थिकनेस में समान तरीके से प्रतिबिंबित होता है। पहले 1 मिमी यूरोपीय प्लेटों और डिजाइनों के साथ बनाया जाता था, इसलिए कुछ ही लोग उन मेटेरियल को खरीदने में सक्षम थे। मुझे नहीं लगता कि 1 मिमी गिर रहा है, लेकिन लोअर थिकनेस का मेटेरियल निश्चित रूप से अच्छी गुणवत्तापूर्ण डिजाइन के साथ वॉल्यूम में ऊपर जा रही है।
श्री राजीव अग्रवाल, निदेशक, पेगासस पैनल्स प्राइवेट लिमिटेड: जब हम बाजार में कुछ भी उतारते हैं, तो उसकी प्रतिक्रिया तीन तरीकों से आती है, हाँ, नहीं या वाह! कोई भी कंपनी जो 1 मिमी का काम करती है, उसे ‘वाह!‘ की भावना के लिए सोचना चाहिए, अन्यथा, लेमिनेट बेचना तो चूहे की दौड़ जैसी है। हम में से कई अलग-अलग इनोवेशन के साथ आते हैं, लेकिन इसे लक्षित ग्राहकों तक पहुंचाना ज्यादा महत्वपूर्ण है। सही प्रोजेक्ट्स का चयन करने के लिए आर्किटेक्ट या ग्राहकों के लिए वह उत्पाद बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, जिसे उसके लिए बनाया गया है। टार्गेटेड ग्रुप तक पहुँचने के लिए आवश्यक प्रयास किए बिना कई डिजाइनों को लाना किसी काम का नहीं है। हमें इस पर सोचना होगा। अगर हमें बिहार के ग्राहकों के लिए डिजाइन लाना है, तो अध्ययन उसी आधार पर किया जाना चाहिए।
श्री प्रवीण पटेल, एमडी, ऐरोलैम लिमिटेडः क्वालिटी और डिजाइन प्रमुख कारक हैं जो कंपनी को इसकी उत्कृष्ट सेवा और मजबूत डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के साथ टिकाऊ बनाते हैं। इसके साथ हमने हर साल वॉल्यूम में 10 फीसदी की ग्रोथ हासिल की है।
गुजरात बनाम नॉर्थ इंडिया में वाॅल्यूम के आधार पर काम करना
श्री अमृत पटेल, सिग्नेचर लैमिनेट्स प्राइवेट लिमिटेड,अहमदाबादः उत्तर भारत के प्लेयर्स निश्चित रूप से अधिक आक्रामक है, लेकिन गुजरात ने समय के साथ उत्तर से भी सीखा है, और अब वे भी वॉल्यूम पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। गुजरात में प्लेयर्स द्वारा एक प्रेस और इसकी वॉल्यूम के साथ काम करने वाली परंपरा जारी थी। आज वॉल्यूम महत्वपूर्ण है लेकिन इसका मतलब क्वालिटी को घटाना नहीं है। गुणवत्ता को साथ लेकर, गुजरात पूरे देश में और अधिक बाजार हासिल कर सकता है। दूसरा, गुजरात मुख्य रूप से दक्षिण भारत के बाजार पर ध्यान केंद्रित कर रहा था। अब उनका ध्यान देश के अन्य हिस्सों जैसे कि यूपी, बिहार, ओडिशा, पंजाब में भी है। शुरू में दक्षिण में 1 मिमी अधिक लोकप्रिय था लेकिन इन दिनों वहां लोअर थिकनेस भी हावी हो रहा है। इसलिए, लोअर थिकनेस में भी गुजरात को प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए क्वालिटी बरकरार रखना होगा और वॉल्यूम में काम करना होगा। पहले, यूरोपीय प्लेटों के अलावा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन अब बहुत सारे चीनी प्लेटें और अन्य विकल्प भी हैं, इसलिए यह सभी के लिए अब एक ओपन गेम हो गया है और गुजरात को इस बदलाव को अपनाना होगा।
श्री शशिकांत गुप्ता, चेयरमैन, संडेक इंडिया लिमिटेडः परिवर्तन सार्वभौमिक है, इसलिए सभी को इच्छा या अनिच्छा से बदलना तो पड़ेगा ही। लोग अपने सिद्धांत, रणनीति और जरूरतें बदल रहे हैं। मेरी राय में गुजरात वॉल्यूम गेम में नहीं गया, बल्कि इलाइट प्रोडक्ट में विविधता हासिल की है।
श्री कांति पटेल, निदेशक, रंगोली लैमिनेट्स प्राइवेट लिमिटेड, मोरबी, गुजरातः यदि अच्छे डिजाइन कलेक्शन के साथ फोल्डर की प्रस्तुति अच्छी है, तो बिक्री निश्चित रूप से होती है। शीर्ष विक्रेताओं को जब एक्सक्लुसिव डिजाइन की जरूरत होती है तो वे निश्चित रूप से गुजरात कारूख करते हैं। कुछ बाजार जैसे बिहार और दक्षिणी भारत के कुछ हिस्से में हमें 1 एमएम के साथ 0.8 मिमी जैसी अन्य रेंज पर ध्यान केंद्रित करना होगा, क्योंकि हमें कीमत में प्रतिस्पर्धा करनी है और उत्तर भारत में वॉल्यूम गेम शुरू होने से बाजार भी उसी दिशा में बढ़ रहा है। श्री रमेश रीटा, मेट्रो लेमिनेट्स, मुंबईः गुजरात में आफ्टर सेल्स सर्विस निश्चित रूप से बेहतर है। यह भी सच है कि उनका ध्यान लेमिनेट से हटकर अन्य उत्पादों में चला गया है इसलिए 1 मिमी की बिक्री में गिर आई है।
श्री विशाल दोकानिया, निदेशक, सेडार डेकोर प्राइवेट लिमिटेड(ड्यूरियन लेमिनेट्स)ः कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण, अभी मांग की तुलना में सप्लाई अधिक है। बेसिक मैक्रोइकॉनॉमिक्स कहता है कि यदि सप्लाई, डिमांड से ज्यादा है तो कीमत प्रभावित होती है। पिछले 13 वर्षों में, जब से हमने इस उद्योग में शुरुआत की है, लेमिनेट्स की कीमतें लगभग स्थिर बनी हुई हैं। यदि आप देखें तो पाएंगे कि मुद्रास्फीति के चलते कच्चे माल और ओवरहेड कॉस्ट अधिक हो रही है, लेकिन उत्पाद की कीमत लगभग वही बनी हुई है। यह इंगित करता है कि निश्चित रूप से मार्जिन घट रहा है, यही कारण है कि वॉल्यूम गेम शुरू हुआ, क्योंकि इसके साथ ओवरहेड डिवाइड हो जाता है।
लेमिनेट के 1 मिमी और 0.8 मिमी के स्टैण्डर्ड थिकनेस को कम करने पर
श्री विशाल अग्रवाल: ऐसा नहीं है कि 1 एमएम कॉस्ट इफेक्टिव या सस्ता नहीं है। यह केवल हम ही कहते हैं कि 1 मिमी अच्छा है क्योंकि हम इसे पसंद करते हैं। 1 मिमी एकमात्र मोटाई है, जिसके साथ हम अधिक कीमत वसूल सकते हैं, और बाकी मोटाई के साथ कोई लेना देना नहीं रखना इसे हीन बनाता है और सस्ती कीमत पर बेचा जाता है। तो, अगर ग्राहकों के लिए किसी स्तर पर कीमत कम हो जाती है तो इसमें गलत क्या है?
श्री कांति पटेलः विशेष रूप से 0.92 मिमी केटेगरी में छोटे फोल्डरों के माध्यम से, मैन्युफैक्चरर्स 1 मिमी को कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहे हैं। इस प्रकार वे उद्योग को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मेरी राय में 0.92 मिमी की मैन्युफैक्चरिंग नहीं की जानी चाहिए
इसके साथ हम ट्रेंड को ही समाप्त कर रहे हैं। फर्नीचर के लिए लेमिनेट सबसे सस्ता कच्चा माल है। कोई यह नहीं कहता कि लेमिनेट के कारण फर्नीचर महंगा हो रहा है। ऐसा नहीं है कि सस्ता करने से लेमिनेट की बिक्री बढ़ रही है।
श्री रमेश रीटाः अंतर्राष्ट्रीय बाजार भारतीय बाजार से अलग है, क्योंकि वहां, प्रौद्योगिकी का उपयोग भारत की तुलना में अधिक प्रचलित है, जबकि भारत में दोनों तरह के लेवर, कुशल और अ-कुशल काम कर रहे हैं। हमारे कारखानों और फर्नीचर उद्योग में, कारपेंटर बहुत कुशल थे लेकिन दूसरी पीढ़ी के मजदूर इतने अच्छे नहीं है इसलिए हर थिकनेस लेवल में हर शीट को अगर हम मापें तो सबमें अंतर होगा।
कोविड के बाद मल्टी ब्रांड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम
श्री विशाल दोकानियाः हर कैटेगरी में प्राइस रेंज है। 1 मिमी का रेंज 800 रुपये से शुरू होकर 2000 रुपये प्रति शीट तक हैं। यदि एक बड़ा डिस्ट्रीब्यूटर एक विस्तृत नेटवर्क में काम करता है, तो एक कैटलॉग हर किसी के लिए सही नहीं है। इसलिए आप कितना बाजार हासिल करना चाहते हैं, उसके अनुसार आपको सेल्स हासिल करने के लिए विभिन्न प्रोडक्ट सेगमेंट को रखना होगा। यदि आप वॉल्यूम बेचना चाहते हैं, तो एक कैटलॉग ठीक है। लेकिन, यहाँ पर्याप्त अवसर है, और हर बड़े शहर में लगभग1000 डीलर हैं, एक ही कैटलॉग को एक दूसरे से सटे दुकानों पर नहीं रखा जा सकता।
श्री शशिकांत गुप्ताः डिस्ट्रीब्यूटर्स निश्चित रूप से कठिनाइयों,का सामना कर रहे हैं, क्योंकि एक साथ कई बच्चों का देखभाल करना थोड़ा मुश्किल होता है, यह एक बुनियादी तर्क है। डिजाइन जो वास्तव में इनोवेटिव है और उपलब्ध डिजाइनों से अलग है, बाजार से बाहर है। आज, जीवित रहना हर किसी के लिए उनकी अपनी क्षमता पर निर्भर है। वही सफल होंगे जिनके पास अच्छे डिजाइन होंगे, क्योंकि ग्राहक हमेशा कुछ अलग और अनोखा मांगते है।
श्री अमृत पटेलः मल्टी-ब्रांड विभिन्न प्रकार के बाजारों की जरूरत है, उदाहरण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कॉस्ट इफेक्टिव उत्पाद को अधिक प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में, नए डिजाइन होने चाहिए। इसलिए, दो ब्रांड के साथ काम करना जरूरी है, लेकिन कहा जाता है कई ब्रांडों का प्रबंधन करना काफी कठिन है। आज कारखानों के साथ-साथ डिस्ट्रीब्यूटर्स अपने स्टॉक में ज्यादा ब्रांड के साथ काम करते हुए बड़ी मुश्किल स्थिति से गुजर रहे हैं।
श्री विशाल अग्रवालः इन्वेंट्री, स्टॉक और सर्विस को बनाए रखते हुए इन दिनों एक ही कीमत में कई ब्रांड्स के अलग-अलग रेंज को बेचना एक कठिन काम है। हमारे कुछ डिस्ट्रीब्यूटर्स चाइनीज उत्पादों के दो ब्रांडों का रखरखाव कर रहे हैं और वे दोनों के साथ न्याय कर काफी अच्छी बिक्री भी हासिल कर रहे हैं। लेकिन, एक ही फार्मूला उद्योग के सभी डिस्ट्रीब्यूटर्स भी लागू नहीं किया जा सकता है। यह देखने वाली बात है कि इन्वेंट्री और कैटलॉग के डिस्ट्रीब्यूशन का प्रबंधन करने में कोई डिस्ट्रीब्यूटर कितना सक्षम है।
श्री रमेश रीटाः किसी डिस्ट्रीब्यूटर की कार्य शैली और उसका दृष्टिकोण बहुत महत्वपूर्ण है। मेरी राय में, पांच प्रतिशत से कम ही लोग एक ही प्राइस बैंड पर एक ही कैटेगरी में मल्टी-ब्रांड का प्रबंधन करने में सक्षम होंगे।
श्री राजीव अग्रवालः जब कोई वितरक एक नया ब्रांड अपनाता है, तो सोचता है कि मौजूदा ब्रांड पुराना और चलन से बाहर हो गया है और यह हर गुजरते साल के साथ जारी रहता है, वे अक्सर उस समय अपने बाजार के बारे में नहीं सोचते हैं। उनके पास इसके लिए कोई योजना या रणनीति नहीं होती और जोश में अचानक एक नया ब्रांड जोड़ लेता है, आमतौर पर उन्हें चार साल बाद अपनी गलती का एहसास होता है। निर्माताओं का यह कर्तव्य है कि वे जब नियुक्त करते हैं तो डिस्ट्रीब्यूटर्स की क्षमता का निरीक्षण अवश्य करें।
श्री कांति पटेल: हरेक डिस्ट्रीब्यूटर के लिए यह ठीक नहीं है, वे जो मल्टी-ब्रांड के साथ न्याय कर सकते है यह उनके लिए ही अच्छा है। कोविड के बाद यदि वे ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं, तो उन्हें अपने फोल्डर कम करना चाहिए।
पैनल की सलाह और दिशा निर्देश
श्री रमेश रीटाः हम अपने ग्राहकों और व्यापारियों को कैसा महसूस कराते हैं, अगर हम सौहार्दपूर्वक निष्पक्ष व्यवहार के साथ अपने संबंधों को बनाए रखते हैं, तो भविष्य बहुत उज्व्वल है।
श्री विशाल दोकानियाः कोविड के साथ हमारे तीन महीने व्यर्थ हो जाने के बावजूद, हम अभी भी इस टॉप लाइन ग्रोथ देख रहे हैं। हमारा लक्ष्य 15 फीसदी था लेकिन अब मुझे लगता है कि वास्तविक रूप से हम 5 से 7 फीसदी का ही ग्रोथ कर पाएंगे। मैं इस ग्रोथ का श्रेय केवल एक चीज को देता हूं कि अपने डीलरों, डिस्ट्रीब्यूटरों को सुनें। आखिरकार, वे आपके खिलाफ नहीं हैं। इसलिए, डिजाइन के संदर्भ में हमारी रणनीति उनके साथ ही चलती है और यहां तक कि मूल्य निर्धारण के लिए भी हम अपने\ वितरकों से बात करते हैं। हम उनकी जरूरतों के अनुसार पीछे पीछे चलते हैं। वितरक और डीलर आपके सहयोगी हैं और जब तक उनको अच्छा मार्जिन मिलता, तब तक मैन्युफैक्चरर्स आगे नहीं बढ़ पाएगें। हमें उनके पेन पॉइंट को सुनने समझने की जरूरत है, क्योंकि अंततः वे आपके फ्रेंचाइजी ही हैं।
श्री अमृत पटेलः निर्माताओं को अपनी गुणवत्ता को बनाए रखना चाहिए और वितरकों का आपसी संबंध सौहार्दपूर्ण रहना चाहिए।
श्री प्रवीण पटेलः केवल डिजाइन और क्वालिटी गेम नहीं जीतेगी। हमें इकोनॉमी रेंज का एक कॉम्बिनेशन बनाना होगा और नेटवर्किंग में निवेश करना होगा ताकि मेटेरियल टार्गेटेड कस्टमर के पास आसानी से पहुंचाया जा सके। शीट पर क्वालिटी और मोटाई का उल्लेख किया जाना चाहिए। इल्मा (प्स्ड।) के सहयोग से, हमें इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करना चाहिए।
श्री शशिकांत गुप्ताः लेमिनेट में मोटाई से क्वालिटी का निर्धारण नहीं किया जा सकता, क्यांेकि सरफेस की मजबूती में मोटाई की गिनती नहीं होती है। मैं गारंटी देता हूं कि संडेक 0.7 मिमी दूसरों के 1 मिमी से अधिक समय तक चलेगा और हमने ग्राहकों की प्रतिक्रिया भी देखी है। ग्राहक को क्या दिया जा रहा है, इस बारे में कंपनी को सच्चाई से काम लेनी चाहिए। मैं मानकीकरण के लिए दिशानिर्देश का समर्थन करता हूं और इल्मा (प्स्ड।) के सहयोग से हमें इसे अपनाना चाहिए। संडेक में हम क्या बेचरहे हैं और मोटाई क्या है आदि इसका हमेशा उल्लेख करते हैं। लेकिन अधिकांश लोग फोल्डर्स में मोटाई का भी उल्लेख नहीं कर रहे हैं, अंतर इसीलिए है।
श्री राजीव अग्रवालः इन दिनों, गुजरात में लोग छोटे फोल्डर बनाने की सलाह देते हैं जिसमे 100 से अधिक शीट न हो।
यदि हम बहुत छोटे फोल्डर बनाते हैं तो हम अपनी मार्केटिंग नहीं कर पाएंगे। आर्किटेक्ट या इंटीरियर डिजाइनर को फोल्डर में सब कुछ चाहिए, क्योंकि उन्हें अलग-अलग तरह जैसे होम, हॉस्पिटल्स, और इंस्टीट्यूशंस, आदि का काम करना पड़ता है । थोड़े समय के लिए छोटे फोल्डर काम कर सकते हैं, लेकिन दीर्घकालिक रणनीति के लिए हमारे पास पूरी रेंज होनी चाहिए। उस पूरी रेंज के लिए हमें अलग-अलग जगहों पर वेयरहाउस भी होनी चाहिए। वितरकों को यह समझना चाहिए कि यदि क्वालिटी बनाए रखने की कीमत ज्यादा पड़ता है, तो उन्हें डीलरों को यह बात बतानी चाहिए कि जो प्लेयर बेहतर सामग्री का उपयोग कर रहे हैं, उनकी लागत निश्चित रूप से बढ़ जाएगी। इस प्रकार आगे चलकर हर किसी को इसका फायदा मिलने वाला है।
श्री विशाल अग्रवालः हमें ग्राहकों के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए और चैनल पार्टनर्स का साथ देना चाहिए। मैन्युफक्चरर्स को इन्हें नए सलूशन के साथ मदद करनी चाहिए ताकि डिस्ट्रीब्यूटर्स अन्य ब्रांड या थिकनेस के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।
प्रमुख बिंदु संक्षेप मेंः
गुजरात स्थिर हो चुका था और अब फिर से बाजार का नेतृत्व करने और तेजी से आगे बढ़ने के लिए तैयार है, इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। ग्रोथ करने के लिए केवल नई डिजाइन लाना पर्याप्त नहीं है और इसके लिए हमें पूरा इको-सिस्टम विकसित करना होगा। इसके अलावा, मेटेरियल और फोल्डरों को समान रूप से टारगेट कस्टमर्स को वितरित किया जाना चाहिए।
मोटाई के संदर्भ में, हर एक को यह तय करना होगा कि उन्हें क्या सूट करता है, लेकिन इसे ग्राहकों को बताना चाहिए कि मेटेरियल की मोटाई और क्वालिटी क्या है। गलत वादा करने से पूरा उद्योग, निर्माताओं के साथ-साथ वितरकों को भी लंबे समय में नुकसान उठाना पड़ता है।
स्टैंडर्डाइजेशन अनिवार्य है, और यदि आईएसआई इसकी अनुमति देता है, कोई तो हो जो उन्हें यह बता सके कि यह अस्पष्टता खत्म नहीं हो सकता तो कम तो होना ही चाहिए। दूसरा, यदि कोई उत्पाद किसी ग्राहक को बेचा जाता है, तो उसे पता होना चाहिए कि वह क्या खरीद रहा है, यह बात हमारे प्रोडक्ट कैटेगरी के हित में होगा। वितरकों को यह सोचना होगा कि क्या वे मल्टीपल ब्रांडों के साथ काम करना चाहते है कि आने वाले महीनों में सिर्फ 2 ब्रांडों के साथ सुरक्षित तरीके से काम करना चाहते हैं क्योंकि आने वाला समय और मुश्किल भरा होने वाला है।