दक्षिण भारत में एमडीएफ बाजार अब आयात की गिरफ्त से बाहर

Tuesday, 21 September 2021

दक्षिण भारत में एमडीएफ की मांग बहुत अच्छी रही और आने वाले वर्षों में भी अच्छी ग्रोथ की ओर परिलक्षित कर रही है। दक्षिण भारत एमडीएफ बोर्ड का प्रमुख बाजार है, खासकर अब जब आयात सस्ते नहीं रहे। इसका सीधा फायदा आंध्र प्रदेश में स्थित रुशिल डेकॉर और ग्रीन पैनल इंडस्ट्रीज के दो प्लांट को मिल रहा है। रुशिल डेकॉर में कुल 1100 सीबीएम क्षमता और ग्रीनपैनल में 1000 सीबीएम क्षमता के साथ, भारतीय एमडीएफ मैन्युफैक्चरिंग दक्षिण भारत के बाजार में प्रमुख स्टेकहोल्डर बन गया है। एमडीएफ के लिए 20000 रुपये प्रति सीबीएम से अधिक की वर्तमान कीमत केसाथ, एमडीएफ मैन्युफैक्चरिंग मुनाफे के साथ-साथ वुड पैनल इंडस्ट्री सेक्टर में बढ़ती मांग के मामले में सबसे आशाजनक उद्योगों में से एक है।

चित्तूर, आंध्र प्रदेश में स्थित ग्रीनपैनल का एमडीएफ प्लांट 80 फीसदी से अधिक क्षमता उपयोग पर काम कर रहा है, जबकि चिकमंगलूर, कर्नाटक स्थित रुशिल डेकोर का पुराना प्लांट 85 फीसदी पर चल रहा है। आंध्र प्रदेश में स्थित रुशिल का नया प्लांट कथित तौर पर अगस्त-सितंबर में 40 फीसदी क्षमता पर चल रहा है। एमडीएफ की मांग विदेशी बाजारों में भी देखी जा रही है जहां ग्रीनपैनल मध्य पूर्व, यूके आदि को निर्यात करने वालें एक प्रमुख प्लेयर के रूप में उभरा है। रुशिल डेकॉर कुछ निर्यात भी कर रहें हैं लेकिन वे अभी घरेलू मांग पर ध्यान केंद्रित कर रहें हैं। दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के कडपा में सेंचुरी प्लाई बोर्ड की एमडीएफ की नई फैसिलिटी में भी काम शुरु होने वाला है।

एमडीएफ सेगमेंट में पश्चिमी क्षेत्र में भी एक और घोषणा की गई है जहां ग्रीनप्लाई बड़ौदा में अपनी पहली एमडीएफ कैपेसिटी शुरू कर रही है। एमडीएफ में 2 और नए प्लेयर के आने कीसंभावनाएं हैं लेकिन इनकी क्षमता की पुष्टि होनी अभी बाकी है। दक्षिणी के बाजारों में एमडीएफ के परिदृश्य पर अपडेट के दौरान प्लाई रिपोर्टर ने कुछ डिस्ट्रीब्यूटर से बात की, जो कहते हैं कि ‘एमडीएफ केटेगरी में कंटेनर की कमी के चलते भारत में इम्पोर्ट पर काफी ज्यादा लॉजिस्टिक खर्च होने के कारण, अब आयातित प्रोडक्ट महंगें हो गए हैं।‘ बंगलौर और चेन्नई में काम कर रहे आयातकों ने कहा कि आयात का व्यवसाय काफी कठिन हो गया है क्योंकि लॉजिस्टिक और बड़े इन्वेंट्री में निवेश काफी ज्यादा और अव्यवहारिक है।

चेन्नई में स्थित एक आयातक ने कहा, देश में थिन और थिक एमडीएफ बोर्ड (2 मिमी से 30 मिमी तक की मोटाई) का उत्पादन किया जा रहा है, पर थिन शीट पर काम के अवसर अभी भी खुले है हालाँकि यह ज्यादा फायदेमंद नहीं है।

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