टिम्बर की कमी के कारण प्लाईवुड इंडस्ट्री बहुत ही खराब स्थिति में है। टिम्बर की उपलब्धता की कमी इतनी गंभीर है कि, पहले कभी ऐसा महसूस भी नहीं किया गया था। और ऐसा इसलिए है, क्योंकि इतनी ज्यादा खपत कभी नहीं थी। जरूरतों और डेटा के ट्रेंड का विश्लेषण करें तो पाते हैं कि अभी लकड़ी की कमी जरूरत/खपत या जितना होना चाहिए उसका मात्र लगभग 60 फीसदी ही उपलब्ध है।
परिदृश्य खराब इसलिए हुआ है, क्योंकि इंडस्ट्री और किसानों ने कभी भी एकजुट होकर एक दूसरे को सहयोग नहीं किया। एसोसिएशन और अन्य सम्बंधित संस्थानों ने हमेशा बात की, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण काम अभी शुरू हुए है, वह भी कुछ ऑर्गनाइज्ड प्लेयर्स के माध्यम से। लेकिन क्या इससे इस ज्वलंत समस्या का समाधान हो जाएगा? सरकारी सहयोग प्राप्त करने के लिए बहुत सारे सेमिनार, वेबिनार, बैठकें, वार्ताएं की गई और आवाजें भी उठाई गई, लेकिन जमीनी स्तर पर होने वाली गतिविधियां जरूरत से बहुत कम हैं। क्या प्लांटेशन में पहले ही देर नहीं हो गई है?
बेशक! तो समाधान क्या है?
प्रत्येक प्लाईवुड और पैनल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री द्वारा निम्नलिखित सुझावों और कार्य प्रणाली को अपनाने की जरूरत है।
- क्या आप (इंडस्ट्री) अपने भौगोलिक (मिट्टी) क्षेत्र के लिए उपयुक्त क्लोन/सैपलिंग/स्पेसीज के बारे में जानते हैं?
- क्या आप जानते हैं कि आपके आस-पास कितनी नर्सरी हैं? और आपने स्थानीय किसानो के लिए कितने पौधे (सैपलिंग) मंगवाए या सुविधा/सहायता प्रदान की है?
- अगर आस-पास कोई नर्सरी नहीं है, तो क्या आप उसे बनाने में मदद कर रहे हैं? या कोई नर्सरी बनाने का प्रयास कर रहे हैं, या इस तरह के किसी ग्रुप का सहयोग कर रहे हैं?
- आपके इंडस्ट्री ने पिछले 15/10/5/या विशेष रूप से पिछले 3 वर्षों में आपके क्षेत्र में कितने पौधे वितरित किए हैं या सुविधा प्रदान की है?
- क्या आपके पास एक कृषि स्नातक के नेतृत्व में कम से कम 2 लोगों की एक टीम है जो किसानों को मिट्टी, सैपलिंग/स्पेसीज के ग्रोथ पीरियड और मौसम चक्र के अनुसार प्लांटेशन की सही विधि के बारे में समझाती है?
- क्या आप (इंडस्ट्री) ‘प्लांटेशन के आरओआई‘ पर व्यावहारिक रूप से बताते हैं, कि किसी किसान को इससे किनता फायदा होने वाला है (सबसे खराब स्थिति में भी खास तौर पर तय की गई एमएसपी पर बाय बैक के आश्वासन के साथ)?‘
- अंत में अपने आप से पूछें कि - कुल भूमि क्षेत्र या आपके द्वारा दिए गए सुविधा से तैयार पौधों की संख्या या आपके द्वारा एक्सटेंडेड सपोर्ट कितना दिया गया है और समय चक्र योजना के साथ एक किसान आपको कितने पेड़ देगा?
ऊपर दिए गए सरलतम सुझाव वुड पैनल इंडस्ट्री को समझाने का एक तरीका है, जो आज परेशान हैं और अपनी समस्याओं के प्रति मुखर तो हो रहे हैं, लेकिन कुछ खास कर नहीं रहे हैं। उपरोक्त सुझावों पर ध्यान देना और उसपर अमल करना किसी को सक्रिय होने या बने रहने के लिए सबसे आसान कार्य होगा।
मुझे एक बात का पूरा यकीन है, हर छोटे फैक्ट्रियों द्वारा तत्काल किया गया कार्य सभी इकाइयों के अस्तित्व के लिए उतना ही कीमती और महत्वपूर्ण सावित होगा जितना कि उस फैक्टी के लिए। आज उत्तर भारत मुश्किलों में है, कल दक्षिण भारत होगा, और परसों कोई भी क्षेत्र हो सकता है। तो जागो, अब तो जाग जाओ!
बातें कम, काम ज्यादा, नर्सरी को सहयोग दें, फिर अन्य कार्यों पर ध्यान दें। अपने उद्योग को सहयोग करने के लिए प्लांटेशन को बढावा दें। ’छोटे, मध्यम, और बड़े वुड इंडस्ट्री, सभी को आगे आना होगा।
आप सभी का धन्यवाद, वित्त वर्ष 23-24 में समृद्धि प्राप्त करें।
प्रगत द्विवेदी
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