उत्पादन क्षमता ज्यादा होने से लेमिनेट का उत्पादन व डिस्ट्रीब्यूटर्स की कमाई प्रभावित हुई है, अब समान हालात प्लाइवुड के साथ होने का अनुमान है, जो एक रिटेलर, होलसेलर और मैन्यूफैक्चरर के लिए कमाई का बड़ा स्त्रोत है। उत्तर प्रदेश में नए लाइसेंस जारी होने के बाद, ये उम्मीद किया जा रही है कि आने वाले 2 सालों में 300 से 400 हाॅट प्रेस लगेंगे। इस उत्पादन विस्तार से पूरा प्लाइवुड बाजार फिर प्रभावित होगा, जिससे प्लाइवुड बेचने वाले पूरे चेन पर असर होगा।
आजकल प्लाइवुड इंडस्ट्री अब तक के सबसे कठिन संशय के दौर से गुजर रहा है। डिस्ट्रीब्यूटर्स या रिटेलर्स माॅडल के चुनाव को लेकर, उत्पादकों में भ्रम जैसी स्थिति बनी हुई है, ज्यादातर लोग रिटेलर्स को सीधे माल देना चाह रहे हैं। पहले, उत्पादक सीधे रिटलेर्स को मेटेरियल नहीं देते थे, ना ही डिस्ट्रीब्यूटर्स ऐसा होने देना चाहते थे, लेकिन बाजार में सप्लाई, मांग से 3 गुना ज्यादा होने की स्थिति में, बाजार का सिस्टम और पेमेंट चक्र पूरी
तरह बिगड़ गया है। इस बदलाव को लेकर प्लाई रिपोर्टर हमेशा से अगाह करता आ रहा है कि नए प्लांट लगाने या क्षमता विस्तार के निर्णय से पहले अपनी होमवर्क पूरी तरह जरूर करें। ज्यादा सप्लाई ने प्रोडक्ट की वैल्यू को कम किया है, साथ ही पूरे बाजार की चेन को प्रभावित किया है। जिसे कभी सटीक नहीं कहा जा सकता, वो आज एक सटीक उदाहरण बन गया है। जब प्याज या टमाटर या अन्य सब्जियां महंगी रहती है, या कम उपलब्ध रहती है, तो इसका स्वाद भी अच्छा लगता है, किसान व व्यापारी भी अच्छा पैसा कमाता है, लेकिन जैसे ही इसका उत्पादन बढ़ता है, उसका आर्कषण, स्वाद और कीमत, मुनाफा सब घट जाता है। इस स्थिति में कुछ ही टिके रहते हैं, जबकि कई संघर्ष करते पाए जाते हैं।
उत्पादक, आज रिटेलर्स तक पहुंचना चाहतें हैं, समान रूप से रिटेलर्स भी चाहते हैं कि वे सीधे उत्पादक से जुडं़े ताकि मिडिलमैन के हटने से उनका प्रोफिट मार्जिन बेहतर हो। हालांकि उन्हें ये अवसर इसलिए नहीं मिल रहा है कि उनमें वो क्षमता होती है। अब उत्पादकों की संख्या बढ़ने, ओवर सप्लाई, कई ब्रांड लाने की पाॅलिसी से रिटेलर्स को यह अवसर लंबे इंतजार के बाद मिला है। देर से पेमेंट, डिफाॅल्टर्स बढ़ने और पैसे का रोटेशन खराब होने के मामले हर तरफ से ज्यादा सप्लाई की वजह से हुआ है। उत्पादकों का सीधे रिटेलर्स को सप्लाई करना, परोक्ष रूप से डिस्ट्रीब्यूटर्स के पेमेंट को बाजार में रोक सकता है, जो कई सालों से उन्होंने रिटेलर्स पर लगा रखा है।
उत्पादन क्षमता ज्यादा होने से लेमिनेट का उत्पादन व डिस्ट्रीब्यूटर्स की कमाई प्रभावित हुई है, अब समान हालात प्लाइवुड के साथ होने का अनुमान है, जो एक रिटेलर, होलसेलर और मैन्यूफैक्चरर के लिए कमाई का बड़ा स्त्रोत है। उत्तर प्रदेश में नए लाइसेंस जारी होने के बाद, ये उम्मीद किया जा रहा है कि आने वाले 2 सालों में 300 से 400 हाॅट प्रेस लगेंगे। इस उत्पादन विस्तार से पूरा प्लाइवुड बाजार फिर प्रभावित होगा, जिससे प्लाइवुड बेचने वाले पूरे चेन पर असर होगा।
हालांकि रिटेलर्स, सीधे फैक्टरियों से मेटेरियल लेकर अपने व्यापार को चलाने में कितना सक्षम होगा, ये अलग बात है, लेकिन सिर्फ 3 फीसदी रिटेलर्स को छोड़कर, 97 फीसदी के पास सीधे उत्पादक से जुड़कर काम करने के लिए ना तो प्रशासनिक क्षमता है, ना ही सोच है, ना जगह और फाइनेंस की क्षमता है। इसलिए कमाॅडिटी संचालित कंज्यूमर डयूरेबल प्रोडक्ट के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स जरूरी है, और हमेशा रहेगा। यद्यपि कई उत्पादक इस बात से सहमत ना हों, लेकिन पेमेंट व अन्य विवादों के मामलें किसी से छुपा नहीं है। इस अंक में कई डिस्ट्रीब्यूटर्स के विचार, प्रमुख खबर के रूप में छपा है, जो कई लोगों के आॅपिनियन को सुधारने में मदद करेगा। अगर किसी फैक्टरी के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स पाॅलिसी पर चलना अब मुश्किल लगता है, तो उन्हें दूसरे विकल्प के चुनाव से पहले कई बार सोच लेना चाहिए।