प्लाइवुड उद्योग में अचानक आए उथल-पुथल के चलते सीधे सीधे दिखाई दे रहा है कि पूरी इंडस्ट्री चाहे वह केरल, पंजाबे, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, यूपी, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड के हो, एसएमई और एमएसएमई सेक्टर के प्लाइवुड उद्योग एकाएक थम से गए हैं। विदित है कि पिछले एक हफ्ते के दौरान टेक्निकल ग्रेड यूरिया के सिलसिले में कई राज्यों की प्लाई व लेमिनेट फैक्ट्रियों पर छापेमारी की गई है। केंद्रीय जाँच दल जगह जगह इस अभियान को सख्त करने में लगी हुई है। उनका कहना है कि उद्योग जो भी यूरिया का उपयोग कर रहे हैं उसका ब्योरा दें, पिछले तीन साल का रिकार्ड दें और अपने प्रोडक्शन के डाटा के साथ उसको मैच करें।
ज्ञात है कि इंडस्ट्रियल यूज में यूरिया का उपयोग होता है, और भारत में यूरिया खाद के रूप में किसानों को सब्सिडाइज रेट पर दिया जाता है, जिसके चलते समय समय पर सरकार अलग-अलग तरीके से इसके उद्योग में इस्तेमाल के लिए रोकथाम करती रहती है। ऐसा माना जाता है कि किसानांे के सब्सिडाइज रेट की यूरिया का उपयोग इंडस्ट्री में ज्यादा होने लगती है तो यह यूरिया किसानांे को उस मात्रा में नहीं मिल पाता है।
खाद के कारोबार से जुड़े कुछ व्यापारी या मिडिल मैन हैं वो यूरिया के बैग को अपने हिसाब से टेक्निकल ग्रेड बनाकर इंडस्ट्री को बेचते हैं। पहले एग्रीकल्चर ग्रेड सब्सिडाइज यूरिया की सब्सिडाइज वैल्यू 300 से 400 रूपए प्रति बोरी होती है, वहींे टेक्निकल ग्रेड यूरिया की कीमत बाजार में 3500 से 4000 रूपए प्रति बोरी होती है। इसी प्रक्रिया में नीम कोटेड यूरिया का चलन शुरू हुआ, जिससे कि कोई भी यूरिया की जांच हो और उसमें नीम कोटेड का पता चल जाए तो मान लिया जाएगा कि ये टेक्नीकल ग्रेड नहीं एग्रीकल्चर ग्रेड यूरिया है। जहाँ छापेमारी होती है उसके सेम्पल लैब में भेजे जाते हैं। रिपोर्ट आने तक आगे की कार्यवाई के लिए इंतजार किया जाता है।
अगर टेक्नीकल यूरिया को इंडस्ट्री अपना लेती है तो कमर्षियल प्लाई बनाने में प्रति ग्लू लाइन में लगभग 60 से 70 पैसे का खर्च बढ़ेगा, यानी कमर्शियल ग्रेड के 18 एमएम की प्लाइवुड में सीधे सीधे साढे तीन से चार रूपये का इजाफा केवल ग्लू में ही होगा, जो कीमतों में 9 से 10 प्रतिषत की बढ़ोतरी के संकेत दे रहा है। ये स्थिति थोड़ी देर के लिए तो अलार्मिंग है लेकिन जब तक सरकार कोई ऐसा समाधान नहीं निकालती है जिससे की इंडस्ट्री सुरक्षित रूप से चालू रहे और टेक्निकल ग्रेड यूरिया का एक जेन्युइन सोर्स मुहैया कराए ताकि कालाबाजारी पर रोक लगे और इंडस्ट्री अपने आप को ठगा हुआ महसूस ना करें।
इसके लिए सरकार को या इंडस्ट्रियल कलस्टर्स के एसोसिएशन के साथ मिलकर काम करना होगा। इसके लिए मांग रखे जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। जगह-जगह बैठकें हो रही है। पता चला है कि आल इंडिया प्लाईवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन इस दिशा में एक बैठक आज करने जा रही है जिसमें इस मुद्दे को केंद्र सरकार के समक्ष रखा जाएगा और कोई सटीक हल निकालने का आग्रह किया जाएगा।
इसमें जो भी समय लगे, पर यह तय है कि प्रति ग्लू लाइन कॉस्ट बढ़ने से कमर्षियल प्लाइवुड के दामों में 3 से 5 रूपए की तेजी से इंकार नहीं किया जा सकता। आने वाला वक्त बताएगा कि सरकार इस पर कितनी सख्त है और मैन्युफैक्चरर्स इसके साथ कितनी देर चल पाएंगे। बाजार इस पर क्या रिस्पान्स करता है लेकिन ये तय है कि बाजार में फिर से एक बार रेजिन की कीमतों में उछाल आने से कमर्षियल प्लाइवुड की कीमतें बढ़ेेंगी।
इसी कड़ी में 23 मई को पंजाब प्लाइवुड मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन की लुधियाना में बैठक हुई जिसमें एसोसिएशन के सदस्यों ने सर्वसम्मति से ये निर्णय लिया कि रेजिन की बढ़ती कीमतों को देखते हुए कमर्शियल प्लाईवुड का रेट 6 से 10 फीसदी बढाना आवश्यक है। सर्वसम्मति से लिए इस फैसले की सूचना एसोसिएशन के सदस्यों को भेज दी गई है। निर्णय को तुरंत प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया गया है।
बैठक में एआईपीएमए के चेयरमैन श्री नरेश तिवारी, पीपीएएमए के चेयरमैन श्री अशोक जुनेजा, पीपीएएमए के प्रेजिडेंट इंद्रजीत सिंह सोहल, हांडा प्लाईवुड के श्री हरमिक सिंह, मैगनस प्लाइवुड के श्री महेष गुप्ता, सावित्री प्लाईवुड के श्री मुकेश अग्रवाल, गोल्डन प्लाईवुड के श्री लक्की सिंह, रमणीक इंटरनेशनल के श्री बलदेव सिंह, विधाता प्लाइवुड के श्री विशाल जुनेजा, विधाता सीमेंट इंडस्ट्रीज के श्री विजय जुनेजा, सरस्वती प्लाइवुड के श्री समीर गोयल समेत कई उत्पादक उपस्थित थे।